समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के 12 साल पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई से केस की जांच रिपोर्ट मांगी गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि छह साल पहले जांच पूरी होने के बावजूद सीबीआई ने इसकी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है, इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए। अब अदालत जानना चाहती है कि इस केस में क्या हुआ। केस दर्ज हुआ या नहीं। वहीं, मुलायम के वकील ने चुनाव के वक्त ऐसी याचिका का विरोध किया और कहा कि कल सब अखबारों में यह खबर होगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वक्त से कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्या हुआ हमें जानना है। राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें सीबीआई को मुलायम, अखिलेश, उनकी पत्नी डिम्पल यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ केस चलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। यह केस भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत चलाया जाना था। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2007 में चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर सीबीआई को मुलायम, अखिलेश, डिम्पल और प्रतीक यादव की संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था। हालांकि, 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिम्पल को इस मामले से यह कहकर बाहर कर दिया था कि वह किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थीं।