मथानिया की मिर्ची अपने तीखे टेस्ट के कारण तो दुनिया भर में पहचान रखती ही हैं लेकिन इसकी सुर्खी दुनिया भर के फोटोग्राफर्स को भी अपनी ओर खींच लेती है। विश्व के कई फोटोग्राफी कॉम्पीटिशन में मिर्ची के ऐसे फोटो डिस्प्ले हो रहे हैं और अपनी कलर कांट्रास्ट की वजह से अवार्ड भी जीत रहे हैं। सर्दी के इस सीजन में मथानिया में मिर्ची की फसल तैयार है और किसानों ने मिर्ची को खेतों में सुखाने के लिए बिछा दिया है। ऐसे नजारे को भला फोटोग्राफर कैसे मिस करते? मिर्ची के ऐसे ही खेत और फार्महाउस पर फोटोग्राफी करने के लिए देश की 12 फीमेल फोटोग्राफर्स जोधपुर पहुंचीं। इनमें से कई तो पहली बार जोधपुर आईं थीं। इनमें तालिका राॅय (गाेवा), प्रकृति कुमारी (बंगलुरू), हुस्ना खाेट (मुंबई), तृप्ति राॅय (गाेवा), अरुणा सिंह (लखनऊ), अयाली मित्रा, गार्गी डे (कोलकाता), स्निग्धा (कोलकाता), शर्मिली दास (कोलकाता), डाॅ. साेना बेनिवाल (दिल्ली), विनाया मैथ्यूज (चेन्नई), लाेपामुद्रा (काेलकाता) शामिल हैं। ये फोटोग्राफर्स सुबह 7 बजे जोधपुर से मथानिया के लिए निकलीं और जा पहुंची बंशीलाल के फार्महाउस पर। यहां एक ओर मिर्ची के ढेर लगे थे तो दूसरी और सुखाने के लिए लाल मिर्ची बिछी हुई थी। यह नजारा देखते ही इन फोटोग्राफर्स ने कैमरे निकाले और क्लिक करने शुरू किए। गोवा की तृप्ति राय ने बताया मोबाइल और डिजिटल से फोटोग्राफी का ट्रेंड भले ही बदल गया है लेकिन एंगल और इमेजिनेशन आज भी अहम है। यही कारण है कि एक ही जगह के हजार फोटो लेनेेके बावजूद लगता है कि हम कुछ चूक गए। रेडचिल्ली के ऐसे फोटो हम फोटोग्राफी कॉम्पीटिशंस में ही देखते थे, तब से इच्छा थी कि मैं खुद ऐसा ही फोटो क्लिक करूं। आज यह तमन्ना पूरी हो गई। बंगलुरू की प्रकृति कुमारी का कहना था कि राजस्थान और मारवाड़ का कलरफुल कल्चर फोटोग्राफर्स के लिए स्वर्ग की तरह है। फोटोग्राफर्स ने लोकल लोगों और बच्चों को भी फ्रेम में लिया। इतनी फीमेल फोटोग्राफर्स को देखकर गांव के बच्चे और महिलाएं भी खूब उत्साहित थे। ओम जांगिड़ ने इन्हें राजस्थानी क्यूजिन बाजरे की रोटी, कढ़ी, चूरमा, कैर-सांगरी, मिर्ची का अचार सर्व किया।