अयोध्या में विवादित बाबरी ढांचा गिराए जाने के मामले में मंगलवार को नया मोड़ आ गया। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस विवाद को सुलझाने का एक फॉर्मूला दिया। बोर्ड ने कहा, "अयोध्या में विवादित जमीन से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बनाई जा सकती है।' 68 साल पुराने इस मसले को सुलझाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड के अलावा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुब्रमण्यम स्वामी भी रास्ता सुझा चुके हैं। बता दें कि 1949 में विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। तब सरकार ने इस जगह को विवादित घोषित कर दिया था और इस जगह ताला लगा दिया गया था। 1) इलाहाबाद हाईकोर्ट - 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। - निर्मोही अखाड़ा:विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह। - रामलला विराजमान:एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह। - सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा। 2) सुप्रीम कोर्ट - मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा होना चाहिए। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे।" 3) सुब्रमण्यम स्वामी - मार्च में सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड पर दिए बयान में स्वामी ने कहा था, "मंदिर और मस्जिद दोनों बननी चाहिए। मसला हल होना चाहिए। मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बनना चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां अभी वो है। राम जन्मभूमि तो पूरी तरह राम मंदिर के लिए ही है। हम राम का जन्मस्थल तो नहीं बदल सकते। सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में मस्जिद का मतलब होता है, वो जगह यहां नमाज अदा की जाए और ये काम कहीं भी हो सकता है।' 4) शिया वक्फ बोर्ड - 8 अगस्त 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।' सुप्रीम कोर्ट में मामला क्यों पहुंचा? - हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अयोध्या की विवादित जमीन पर दावा जताते हुए रामलला विराजमान की तरफ से हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की। - दूसरी तरफ, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद कई और पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन्स दायर कर दी। - इन सभी पिटीशन्स पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2011 को हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। तब से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। मीडिएटर्स पर बेंच ने क्या सुझाव दिया? -सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष इस मसले को सुलझाने की नई कोशिशों के लिए मीडिएटर्स को चुन लें। अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी एक प्रिंसिपल मीडिएटर चुन सकता है। - चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि अगर सभी संबंधित पक्ष ये चाहेंगे कि वे इस मुद्दे पर मीडिएट करें तो वे मध्यस्थ बनने को तैयार हैं। जरूरत पड़ने पर मेरे साथी जजों की भी मदद ली जा सकती है। -बेंच ने स्वामी से कहा कि वे इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से सलाह-मशविरा करें और बातचीत शुरू करने को लेकर होने वाले फैसले के बारे में कोर्ट को 31 मार्च तक सूचित करें। मंदिर विवाद पर किसका क्या है दावा? - बीजेपी, वीएचपी समेत कई हिंदू संगठन विवादित जमीन पर राम मंदिर और सुन्नी वक्फ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठन वहां मस्जिद होने का दावा करते हैं। - हिंदुओं का कहना है कि वह जगह रामजन्म भूमि है, वहां भगवान राम का मंदिर था जिसे मुगल शासक बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने 1528 में तुड़वा दिया और उसकी जगह मस्जिद बनवा दी, जिसे बाबरी मस्जिद कहा गया। तीन प्रधानमंत्रियों के वक्त कैसे हुईं कोशिशें 1986 में राजीव गांधी के वक्त तब के कांची कामकोटि के शंकराचार्य और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेसिडेंट अली मियां नादवी के बीच बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन नाकाम रही। 1990 में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने (यूपी के सीएम मुलायम सिंह यादव) और (राजस्थान के सीएम) भैरों सिंह शेखावत के साथ मिलकर कोशिशें शुरू की, लेकिन उस वक्त भी नतीजा नहीं निकला। बाद में पीएम नरसिंह राव ने एक कमेटी बनाई और कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय के जरिए कोशिशें आगे बढ़ीं, लेकिन 1992 में विवादित ढांचा गिरा दिया गया। मसले पर किसका क्या है स्टैंड 1) सरकार - मोदी सरकार ने बार-बार यही कहा है कि राम मंदिर को संविधान के दायरे में रहकर ही बनाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने कहा था, "राम मंदिर कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि वह लाखों-करोड़ाें लोगों की आस्था का मामला है। यह बेहतरीन सलाह है। समस्या के समाधान के लिए इससे बेहतर परामर्श नहीं हो सकता था।" - केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उम्मीद है कि मसले का कोर्ट के बाहर हल निकल सकेगा। 2) विपक्ष - कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था, "अगर दोनों पक्षों से जुड़े लोग आपसी रजामंदी वाला हल निकाल लेते हैं, तो इससे टिकाऊ अमन हासिल हो सकेगा और सभी पक्ष एक-दूसरे का सम्मान करेंगे। ऐसा नहीं होता है तो सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे की मेरिट के आधार पर फैसला करना चाहिए। - असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर रोज सुनवाई करनी चाहिए। इस तरह से एक दिन फैसला आ जाएगा।" 3) आरएसएस - यूपी असेंबली इलेक्शन में बीजेपी को मिली बड़ी जीत को आरएसएस नेता एमजी वैद्य ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए मैन्डेट बताया था। - चुनाव नतीजों के बाद वैद्य ने कहा था- बीजेपी के मैनिफेस्टो में भी अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे का जिक्र है। इसलिए ये माना जाना चाहिए कि राम मंदिर बनाने को लेकर जनता ने अपनी मंजूरी दे दी है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को हल नहीं कर पाता है तो एनडीए सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए कानून बनाना चाहिए। 4) बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी - बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा था, "मामला आगे बढ़ गया है। समझौते से हल नहीं निकलेगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सीधे दखल दें, तो हो सकता है कि बात बन जाए।' 5) मुस्लिम संगठन - मुस्लिम धर्मगुरु उमर इलियासी ने कहा था, "ये मामला पुजारियों और मौलवियों के बीच का है। दोनों के बीच आपसी सहमति से ही हल होना चाहिए।" - मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जो बात कही है, उसके बारे में मुस्लिम विद्वानों से बात करेंगे।" - बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने कहा- हम भी इस बात के पक्षधर थे कि दोनों पक्ष इस मामले में बैठ कर बातचीत करें।