सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार काे तीन तलाक पर छह महीने के लिए बैन लगा दिया। कोर्ट ने सरकार से इस पर कानून बनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजाें की बेंच ने 3:2 के फैसले से तीन तलाक को संविधान के खिलाफ बताया। DainikBhaskar.com आपको इस्लामिक स्कॉलर्स के जरिए बता रहा है कि तीन तलाक पर कुरान-हदीस में क्या लिखा है। 5 स्कॉलर्स ने कुरान के आधार पर बताया कैसे कट्टरपंथी गुमराह कर रहे हैं - जीनत शौकत अली, डायरेक्टर जनरल, वर्ल्ड इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़ फॉर डायलॉग - डॉ. सैयद रिजवान अहमद, एडवोकेट, इलाहाबाद हाईकोर्ट में इन्होंने निकाहनामे पर पिटीशन लगाई है - डॉ. मुफ्ती जाहिद, एसोसिएट प्रोफेसर, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी - हुस्ने अहमद कादरी, जनरल सेक्रेटरी, जमीयतुल उलेमा हिंद - अब्दुल बिस्मिल्लाह, पूर्व एचओडी जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी 1. ट्रिपल तलाक सबसे चर्चित/विवादित मुद्दा - पिछले साल पचास हजार से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने इसके खिलाफ सिग्नेचर कैम्पेन चलाया। इस मुहिम का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक और क्रूर बताया। हकीकत: कुरान/हदीस में कहीं नहीं लिखा ट्रिपल तलाक प्री-इस्लामिक अरब में लोग पत्नी से गुलामों जैसा बर्ताव करते थे। कई तरह के तलाक होते थे। तब पैगम्बर हजरत मोहम्मद सब खत्म कराकर तलाक-ए-अहसन लाए। बाद में दूसरे खलीफा हजरत उमर के जमाने में उनके पास कुछ महिलाएं आईं और कहा कि हमारे पति कई-कई दफा तलाक कहते हैं लेकिन फिर रिश्ता बना लेते हैं। ऐसे में हजरत उमर ने कहा- यदि तीन तलाक कहते हैं तो इसे तलाक माना जाएगा। स्थिति को देखते हुए इसे फौरी राहत माना गया था। वो खुद इसे स्थाई नहीं चाहते थे। तीन बार तलाक कहना तो कुरान में है ही नहीं। पति-पत्नी में झगड़ा हो जाए तो... सूरा नंबर 4 वर्स नंबर 35 में कहा गया है कि अगर पति-पत्नी में कोई झगड़ा है तो दोनों परिवार के लोग दखल दें। इसके लिए 90 दिन की इद्दत भी है। यानी वेटिंग पीरियड। अगर इस दौरान भी सुलह की स्थिति न बन पाए तो फिर काजी के माध्यम से तलाक की प्रॉसेस पूरी होती है। इस्लाम में इस काज़ी की कल्पना कोर्ट के जज की ही तरह की गई है। (आगे की स्लाइड में पढ़ें ऐसे ही 5 और विवादित मुद्दों के बारे में) मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा था? - 16 अप्रैल को ट्रिपल तलाक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा था कि अगर ट्रिपल तलाक का गलत इस्तेमाल किया गया, तो ऐसा करने वालों का सोशल बायकॉट किया जाएगा। AIMPLB के जनरल सेक्रेटरी मौलाना वलीम रहमानी ने कहा था, "पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक औरत को मुश्किलों से बचाने के लिए है। हम दूसरे मजहब में दखल नहीं करते हैं, तो दूसरा मजहब भी हमारे मामले में दखल ना दे। तलाक का मामला शरीयत के हिसाब से ही रहेगा। जब कोर्ट का फैसला आएगा, तब हम उसे देखेंगे।" - AIMPLB सेक्रेटरी जफरयाब जिलानी ने कहा, "जब पुरुष गुस्से में, नशे में या फिर बिना तलाक की नीयत से एक साथ 3 बार तलाक बोल देता है, तो शरीयत के हिसाब से उसे गुनाह माना जाता है। लेकिन, इस तरह से दिए गए तलाक को भी मान लिया जाता है।" वॉट्सऐप-कुरियर से भी तलाक जायज - मौलाना रहमानी ने कहा, "अगर शरीयत के हिसाब से वॉट्सऐप, पोस्टकार्ड, कुरियर से भी तलाक भेजा गया, तो वो मान्य होगा। जिस तरह से शादी के लिए पोस्टकार्ड से दावतनामा भेजा जाता है, वो भी माना जाता है। इसी तरह अगर कोई किसी मीडियम का इस्तेमाल करते हुए तलाक देता है तो वह भी जायज होगा। इस्लाम में मर्द औरत दोनों को बराबर का हक दिया गया है। इसलिए हमने यह फैसला लिया है कि माता-पिता निकाह में अपनी बेटियों को दहेज देने की जगह उन्हें जायदाद में हिस्सा दें।" ट्रिपल तलाक पर AIMPLB के 8 निर्देश 1# पति और पत्नी में अनबन हो जाए तो पहले वो खुद इसे खत्म करने की कोशिश करें। 2# इस तरह से बात न बने तो अस्थायी तौर पर रिश्ता खत्म किया जा सकता है। 3# ये तरीके नाकाम होने पर दोनों तरफ के लोग समझौते की कोशिश करें या दोनों तरफ से किसी एक शख्स को तय कर समझौते और फैसले की कोशिश हो।