आयरलैंड में पहली बार महिलाओं को गर्भपात कराने का अधिकार मिला है। 35 साल पहले बने कानून में यहां अबॉर्शन यानी गर्भपात को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। अब देश के 30 लाख लोगों ने जनमत संग्रह में वोट करके इस कानून को बदलने की राय जाहिर कर दी है। भले ही नतीजा अब आया है, लेकिन महिलाओं के हक की ये लड़ाई 6 बरस से चल रही थी। इस पूरे कैंपेन का चेहरा भारतीय मूल की महिला सविता हलप्पनवार थीं। इस कानून में बदलाव के लिए कराए गए जनमत संग्रह को कराने में आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वाराडकर ने अहम भूमिका निभाई। बता दें कि लियो वाराडकर भारतीय मूल के हैं। 68% लोगों ने अबॉर्शन बैन के विरोध में किया वोट - अबॉर्शन लॉ को लेकर शुक्रवार को जनमत संग्रह कराया गया था। शनिवार को इसका नतीजा आया। इसमें 68% लोगों ने कहा कि कानून बदले, महिलाओं को अबॉर्शन कराने का अधिकार मिले। - युवाओं ने तो पुराने अबॉर्शन लॉ को सिरे से खारिज कर दिया। 18 से 24 साल के 87% लोगों ने अबॉर्शन बैन को हटाने के पक्ष में वोट किया। अब इस जनमत संग्रह के नतीजे के आधार पर देश की संसद नया कानून बनाने पर काम करेगी। कौन थी सविता और कैसे हुई थी मौत? - सविता हलप्पनवार आयरलैंड में डेंटिस्ट थीं। 2012 में समय से अबॉर्शन ना करा पाने की वजह से 31 साल की सविता की मौत हो गई थी। उसे पता चल गया था कि गर्भ में ही बच्चा मर गया है। वह 17 हफ्तों की गर्भवती थीं। - सविता के परिवारवालों ने कई बार डॉक्टरों से उसकी जान बचाने की अपील की, लेकिन डॉक्टरों ने कानून का हवाला देते हुए इसमें असमर्थता जता दी थी। भर्ती होने के 3 दिन बाद ही ज्यादा खून बह जाने के चलते लगातार खराब होती हालत से उनकी मौत हो गई थी। अायरलैंड में गर्भपात पर क्यों हैं बैन? - दरअसल आयरलैंड काफी धार्मिक देश है। कैथोलिक मान्यताओं की वजह से ही यहां गर्भपात को उचित नहीं माना जाता था। अब तक गर्भपात कराने पर दी जाती रही है 14 साल की सजा - 1983 में हुआ आयरिश संविधान का आठवां संशोधन देश में गर्भपात कराने को प्रतिबंधित करता है। ऐसा करने वाले को 14 साल सजा का प्रावधान था। अबॉर्शन कराने विदेश जाती है आयरिश महिलाएं - 1992 में एक रेप पीड़िता के अबॉर्शन की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। सरकार ने इसके बाद ही लोगों को देश के बाहर जाकर अबॉर्शन की अनुमति दे दी थी। इसके बाद आयरलैंड में जिस भी महिला को गर्भपात कराना होता, वह विदेश जाती। इन 35 साल में करीब 2 लाख आयरिश महिलाएं अबॉर्शन कराने विदेश जा चुकी हैं। हाल के सालों में इन महिलाओं का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। आयरलैंड में कब कड़े किए गए थे नियम? - आयरलैंड में 1983 में एक जनमत संग्रह के बाद संविधान में 8वें संशोधन किया गया था। इस संशोधन के तहत महिला और उसके गर्भ में बच्चे को भी जीवन के समान अधिकार दिए गए थे, यानी गर्भपात को पूरी तरह गैरकानूनी बना दिया गया था। बताया जाता है कि महिला को अबॉर्शन से पैदा होने वाले खतरों से बचाने के लिए भी ये कानून उस वक्त जरूरी था। बाकी देशों में 12 से 22 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत है ज्यादातर देशों में 12 हफ्ते तक महिलाएं इमरजेंसी होने पर गर्भपात करा सकती हैंं। आइसलैंड में ये समयसीमा 16 हफ्ते, स्वीडन में 18 और नीदरलैंड में तो 22 हफ्ते की है। भारत में भी 12 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने की इजाजत दी जाती है।