हिमाचल की खुली जेल में दो साल पहले शुरू हुए एक कैफे ने 2017-18 वित्तीय वर्ष में 3.5 करोड़ रुपए की कमाई की। इस कैफे को 135 कैदी चलाते हैं। ये लोग सिर्फ कैफे में ही सर्विस नहीं देते, बल्कि धर्मशाला, शिमला और नाहन में फूड वैन भी चलाते हैं। इस पहल को पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं। दिल्ली से आए एक पर्यटक रमेश सिंह कहते हैं कि बुक कैफे की कॉफी मुझे काफी पसंद आई। उससे भी अहम बात यह है कि ये अलग तरह की कोशिश है। इसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए। शिमला के टाका बेंच में यह बुक कैफे है। इसमें ग्राहकों को चाय, कॉफी और फूड आइटम्स के साथ पढ़ने के लिए किताबें भी मुहैया कराई जाती हैं। हत्या के एक मामले में 8 साल से जेल में बंद जयचंद बुक कैफे चलाते हैं। उन्होंने बताया कि कैफे में आने वाले छात्रों, पर्यटकों से बातें करके उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया है। अब उन्हें अपने भविष्य से काफी उम्मीदें हैं। इस कॉन्सेप्ट को हिमाचल प्रदेश के जेल महानिदेशक (डीजी) सोमेश गोयल ने तैयार किया था। इस कैफे से ऐसे कैदियों को जोड़ा गया है, जिनका व्यवहार जेल में सजा काटने के दौरान काफी अच्छा रहा। कैफे और फूड वैन चलाने वाले कैदियों में ऐसे मुजरिम भी शामिल हैं, जो हत्या के मामले में सजा काट रहे हैं। कारा बाजार के नाम से बनाई गई है वेबसाइट: सोमेश गोयल ने बताया कि जेल के कैदी इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के पास फूड वैन लगाते हैं। कैदियों के बनाए गए सामान की डिमांड पुणे, बेंगलुरु आदि जगहों से भी आती है। इसके लिए 'कारा बाजार' नाम से वेबसाइट बनाई गई है। हिमाचल में दो जिला जेल, दो केंद्रीय कारागार समेत कुल 14 जेल हैं। इनमें करीब 2000 कैदी हैं। जेल प्रशासन हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में एक फैक्ट्री बनाने की प्लानिंग कर रहा है। इसमें कैदी हैंडीक्राफ्ट, बेकरी, कुर्सी-मेज आदि सामान बनाएंगे। इन्हें बाद में बिक्री के लिए शिमला के साथ-साथ दूसरे शहरों में भेजा जाएगा।