अफगानिस्तान में आईएस और तालिबान की आतंकी गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिसमें अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं। इन सबके बीच अपने करीबियों की मौत का मातम मनाने के बजाए अफगानी महिलाओं ने उनका बदला लेने के लिए हथियार उठा लिए हैं। इसके लिए सैकड़ों महिलाएं अफगानी नेशनल एकेडमी में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा चलाए जा रहे ‘सैंडहर्स्ट इन द सैंड’ नाम के ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा ले रही हैं। महिलाओं की भी होती है मर्दो की तरह ट्रेनिंग... - अफगानिस्तान में पिछले 13 सालों से चली आ रही अफगान वॉर में ब्रिटेन के 10 हजार सैनिक शामिल हुए, जिसमें 453 सैनिकों की मौत हुई। - अफगानिस्तान में शांति बहाली के बाद अक्टूबर 2014 में ही ब्रिटेन और वेस्टर्न कंट्रीज ने अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं। हालांकि, अब भी यहां हजारों विदेशी सैनिक मौजूद हैं। - इस समय ब्रिटेन के करीब 500 सैनिक को अफगान सैनिकों को सैंडहर्स्ट स्थित मिल्रिटी एकेडमी में ट्रेनिंग दे रहे हैं। - पश्चिमी देशों की सेनाओं के जाने के बाद से ही अफगानिस्तान में आतंकियों और अफगानी सेना में युद्ध छिड़ा हुआ है। इसी के चलते सेना में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आतंकियों से लड़ने के सामान के लिए मवेशी तक बेच रही हैं महिलाएं - आतंकियों से लड़ने के लिए 80 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी अपने मवेशी बेचकर लड़ने का सामान जुटा रही हैं। - थकान से बचने के लिए अधिकतर महिलाएं बुर्के उतारकर आर्मी ड्रेस पहन रही हैं और काबुल स्थित ‘सैंडहर्स्ट इन द सैंड’ नाम की मिल्रिटी एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही हैं। - इस एकेडमी में ब्रिटेन के सैनिक अफगानिस्तान के पुरुष और महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आतंकियों से लोहा लेने के लिए तैयार कर रहे हैं। - 4 साल पहले बनी इस एकेडमी से ट्रेनिंग लेकर अब तक सैकड़ों महिलाएं सेना में जा चुकी हैं।