आसाराम को उम्रकैद की सजा मिलने पर पीड़िता ने खुशी जताई है। उसने बुधवार को फैसला आने के बाद कहा कि अगर दो और लोगों को सजा मिलती तो बेहतर होता है। बता दें कि बता दें कि जोधपुर कोर्ट ने पांच आरोपियों में से दो को बरी कर दिया है। आसाराम को उम्रकैद, शिल्पी और शरतचंद्र को 20-20 साल की सजा सुनाई है। पिता कहते हैं कि बेटी मीडिया के सामने इसलिए नहीं आ रही, क्योंकि वह पुरानी बातें याद नहीं करना चाहती है। हम इस मुद्दे से अपना ध्यान हटाना चाह रहे हैं। भाई ने कहा- इस केस ने मेरी भी जिंदगी बर्बाद कर दी -पीड़िता के भाई ने कहा- "मैं कैसे बताऊं कि मेरी लाइफ कैसी हो गई है। केस लड़ने के दौरान कई दिक्कतें और परेशानियां बनी रहीं। हमेशा एक डर बना रहता है। हम लोग इस टॉपिक पर घर पर बहुत कम बात करते थे। जितना हो सकता था, हम इस बात से ध्यान हटाना चाहते थे। जितना हो सके नॉर्मल रहने की कोशिश करते थे, क्योंकि इसके बारे में जितना बात करते थे उतना ही दुख होता था।" - "जब यह मामला शुरू हुआ तब मैं पढ़ रहा था। फिर अचानक से मुझे ही सबकुछ संभालना पड़ा। मेरी पढ़ाई बंद हो गई। बहन की पढ़ाई बंद हो गई। इस केस ने मेरी भी जिंदगी बर्बाद कर दी।" आसाराम का गुनाह: इलाज के बहाने पीड़िता से ज्यादती की - आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली पीड़िता ने अपने बयान में कहा था, ‘"मुझे दौरे पड़ते थे। गुरुकुल की एक शिक्षिका ने मेरे माता-पिता से कहा कि आसाराम से इलाज कराएं। आसाराम ने मुझे जोधपुर के पास मणाई गांव के फार्म हाउस में लाने को कहा। वहां पहुंचे तो मेरे माता-पिता को बाहर रोक दिया गया।’’ - ‘‘उनसे कहा गया कि आसाराम विशेष तरीके से मेरा अकेले में इलाज करेंगे। इसके बाद मुझे एक कमरे में भेज दिया गया। वहां पर आसाराम पहले से मौजूद था। उसने मेरे साथ अश्लील हरकतें की। साथ ही धमकी दी कि यदि मैं चिल्लाई तो कमरे से बाहर बैठे उसके माता-पिता को मार दिया जाएगा। मुझे ओरल सेक्स करने को कहा गया, लेकिन मैंने मना कर दिया।’’ फैसले की सबसे बड़ी कड़ी : पीड़ित लड़की का अपने बयान पर टिके रहना 1) दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया। 2) उत्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े। 3) आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ। तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे। 4) कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिशें हुईं। जांच अधिकारी को बचाव पक्ष के वकीलों ने बार-बार कोर्ट में बुलवाया। एक गवाह को 104 बार बुलाया गया। 5) आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है। 6) फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया। 7) आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली। 8) जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए।