होली पर्व का उल्लास ब्रज से निकलकर गोकुल की कुंज गलियों तक पहुंच चुका है। सोमवार को नंदभवन से ठाकुर जी का डोला निकला तो पुष्प वर्षा के साथ रंग, गुलाल की बारिश शुरु हो गई। जिसमें भीगकर श्रद्धालु सराबोर हो उठे। मुरलीघाट पर गोपियों ने बाल स्वरूप कान्हा से छड़ीमार होली खेली। इस होली के अलौकिक दृश्य को देखकर देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु निहाल हो गए। ढोल नगाड़े की थाप पर नाचते गाते दिखे लोग ब्रज में होली की धूम चारों ओर है। हर कोई रंगों की मस्ती में मस्त है और भगवान के साथ होली खेलकर अपने को धन्य कर रहा है। इसी भाव से आज कृष्ण की नगरी गोकुल में होली खेली गई। सुबह से ही गोकुल में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भीड़ थी। हर कोई यहां बरसने वाले होली के रंगों में सराबोर होने को लालयित था। सुबह नंदभवन से ठाकुर जी का डोला निकला। श्रद्धालु ढोल-नगाड़े की ढाप पर झूमते हुए चल रहे थे। ब्रज से गोकुल तक होली की धूम श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ, लेकिन उनका बचपन गोकुल में गुजरा। यही भाव आज तक गोकुलवासियों के अंदर है। यही कारण है कि यहां की होली आज भी पूरे ब्रज से अलग है। भक्ति भाव से भक्त सबसे पहले बाल गोपाल को फूलों से सजी पालकी में बैठाकर नन्द भवन से मुरलीधर घाट ले जाते हैं, जहां भगवान बगीचे में बैठकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं। भक्त होली के गीतों पर नाचते-गाते दिखें जिस समय बाल गोपाल का डोला नन्द भवन से निकलकर मुरलीधर घाट तक पहुंचता है, उस दौरान चल रहे भक्त होली के गीतों पर नाचते-गाते हैं और भगवान के डोले पर पुष्प वर्षा करते हैं। इसी समय हुरियारिन भगवान और श्रद्धालुओं के साथ छड़ी से होली खेली जाती है।