वायुसेना के लापता विमान एएन-32 का मलबा अरुणाचल के सियांग जिले के जंगल में मिला। इसके बाद वायुसेना ने दो हेलिकॉप्टर के जरिए 15 लोगों की टीम दुर्घटना वाली जगह के पास उतारी है। रक्षा विभाग के प्रवक्ता विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने बताया कि इस टीम में सेना, वायुसेना जवान और पर्वतारोही शामिल हैं, जो 12 हजार फीट की ऊंचाई पर जंगल में गिरे मलबे और इसमें सवार लोगों की तलाश करेगी। वायुसेना ने तलाशी अभियान के दौरान मंगलवार को 3 जून से लापता एएन-32 का मलबा मिलने की पुष्टि की थी। तीनों सेनाओं की मदद से आठ दिन तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया था। इस दौरान एमआई-17 हेलिकॉप्टर को अरुणाचल के जंगल में विमान का मलबा दिखाई दिया था। एएन-32 ने 3 जून को असम के एयरबेस से उड़ान भरी थी। यह अरुणाचल में लापता हो गया था। इसमें वायुसेना के 8 क्रू समेत 13 लोग सवार थे। तलाश में सुखोई, सी-130, पी-8 के अलावा ड्रोन भी लगे थे वायुसेना ने सुखोई-30, सी130 जे सुपर हर्क्युलिस, पी8आई एयरक्राफ्ट, ड्रोन और सैटेलाइट्स के जरिए विमान का पता लगाने की कोशिश की। इस मिशन में वायुसेना के अलावा नौसेना, सेना, खुफिया एजेंसियां, आईटीबीपी और पुलिस के जवान लगे हुए थे। खोजी विमानों ने कई घंटे की इमेजिंग की फुटेज हासिल की और नौसेना के टोही विमान पी8आई को भी सर्च अभियान में लगाए रखा। इसरों के सैटेलाइट्स और मानवरहित यानों ने भी तलाश की। इस इलाके में ज्यादा टर्बुलेंस, इसलिए उड़ान मुिश्कल कई रिसर्च में एक बात सामने आई है कि अरुणाचल के इस इलाके में बहुत ज्यादा टर्बुलेंस है। 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा यहां की घाटियों के संपर्क में आने पर ऐसी स्थितियां बनाती है कि उड़ान मुश्किल हो जाती है। दूर-दूर तक जंगल और आबादी नहीं होने से लापता विमानों की तलाश करना बेहद कठिन होता है। इसमें कई बार दशकों लग जाते हैं। अरुणाचल में 75 साल पुराने विमान का मलबा मिला था इससे पहले भी अरुणाचल की पहाड़ियों पर कई बार ऐसे विमानों का मलबा मिल चुका है, जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लापता हो गए थे। इसी साल फरवरी में ईस्ट अरुणाचल के रोइंग जिले में 75 साल से लापता एक विमान का मलबा मिला था। यह अमेरिकी वायुसेना का विमान था, जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन में जापानियों के खिलाफ लड़ाई में मदद करने के लिए असम से उड़ा था।