योगी सरकार में परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को उत्तरप्रदेश का नया भाजपा अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने संगठनात्मक नियुक्ति से संबंधित एक पत्र जारी कर इसकी घोषणा की है। हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान सिंह मध्यप्रदेश के प्रभारी थे। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद यहां लोकसभा की 29 में से 28 सीटें जीती थीं। स्वतंत्र देव सिंह मूल रूप से मिर्जापुर जिले के रहने वाले हैं। साल 1984 में वह अपने भाई श्रीपत सिंह के साथ उरई (जालौन) आए थे। श्रीपत सिंह पुलिस विभाग में यहां तबादला होने के कारण आए थे। 1985 में ग्रेजुएशन में दाखिले के बाद 1986 में सिंह ने उरई के डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र संघ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद सिंह ने उरई में ही 1989 में एक अखबार में बतौर जिला संवाददाता काम करना शुरू कर दिया। 1992 में उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। वे संघ कार्यकर्ता के रूप में उरई से झांसी आ गए। पहले कांग्रेस सिंह नाम था स्वतंत्र देव सिंह का वास्तविक नाम कांग्रेस सिंह था। संघ को बहुत कन्फ्यूजन होता था। संघ में उनका नाम स्वतंत्र देव सिंह रख दिया गया। यह नाम अखबार के नाम से प्रेरित था। बाद में उन्हें स्वतंत्र देव सिंह के नाम से जाना जाने लगा। झांसी में अखिल भारतीय विद्यार्थी में शामिल हुए। उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए उन्हें कानपुर भेज दिया गया। कानपुर में वह हनुमान मिश्रा के नेतृत्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा के साथ खड़े हो गए। 2000 में उन्हें युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसी दौरान उनके नेतृत्व में आगरा में हुए पार्टी के राष्ट्रीय सम्मलेन उनका बड़े नेताओं से परिचय हुआ। इसका इनाम ये मिला कि उन्हें युवा मोर्चा से मुख्यधारा में लाते हुए पार्टी ने उत्तरप्रदेश भाजपा का महामंत्री बना दिया। उन्हें उरई में सहकारी समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया। 2012 में हुई जमानत जब्त 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने स्वतंत्र देव सिंह को उरई की कालपी सीट से चुनाव लड़ाया। यहां उन्हें बुरी तरह हार मिली। कांग्रेस की प्रत्याशी उमा कांति के सामने उनकी जमानत जब्त हो गई। इसके बाद भी उन्हें भाजपा ने एमएलसी बनाया। 2014 में हुए आम चुनाव उनके लिए महत्वपूर्ण रहे। भाजपा ने सिंह को उत्तरप्रदेश में होने वाली रैलियों के आयोजन की कमान दी। यहीं से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीब आ गए। बुंदेलखंड में मजबूत पकड़ के चलते 19 में से अधिकतर सीटों पर टिकट उनकी सलाह पर ही दिए गए। भाजपा ने यहां से सभी 19 सीटें जीती, तो उनका कद और बढ़ गया।