राजस्थान की खारे पानी की सबसे बड़ी झील सांभर में देशी-विदेशी पक्षियों की मौत का सिलसिला जारी है। 15 दिनों में करीब 10 हजार पक्षियों की मौत हो चुकी है। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते तीन दिनों से जेसीबी से गड्ढा खोदकर पक्षियों को जमीन में दफनाया जा रहा है। कई मृत पक्षी कीचड़ में सड़ने लगे है। इससे दूसरे पक्षियों की भी सेहत बिगड़ने की शंका है। बीकानेर अपेक्स सेंटर फॉर एनीमल डिजीज के प्रोफेसर ऐके कटारिया भी शुक्रवार सुबह सांभर पहुंचे। उनका अनुमान है कि पक्षियों के पंखों में लकवा के लक्षण भी मौत का कारण हो सकता है। इसकी वजह एविए बोटुलिज्म हो सकता है। इससे पहले गुरुवार को चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समेत कई बड़े अफसर और एक्सपर्ट मौके पर पहुंचे। उन्होंने 4800 पक्षियों के मरने की बात कही। मौके पर पहुंचे पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह संख्या 10 हजार है। वायरल इन्फेक्शन से हुईं मौतें पक्षियों की मौत मामले पर बुधवार को हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में जवाब पेश किया। इसमें प्रवासी पक्षियों की मौत वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन समेत अन्य कारणों से होना बताया। लंबी यात्रा के दौरान पर्याप्त भोजन नहीं मिलना, प्रदूषण और कमजोरी को भी पक्षियों की मौत की वजह बताई गई है। मुख्यमंत्री ने कहा- एक और रेस्क्यू सेंटर खोलें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में गुरुवार रात समीक्षा बैठक ली। उन्होंने मौत के कारणों की जांच कर प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए। साथ ही कहा कि पक्षियों को बचाने के लिए एक और रेस्क्यू सेंटर खोलें। मृत पक्षियों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करें, ताकि संक्रमण न फैले। पक्षियों की मौत के 3 बड़े कारण जो पक्षी शुरुआत में मरे, वो दलदल में दबे हैं और उनमें मेगट्स (कीड़े) लग गए, जिन्हें खाने से दूसरे पक्षी मर रहे हैं। पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू नहीं है। घटना ‘हाइपर नकट्रेमिया’ यानी पानी में सोडियम की अत्यधिक मात्रा होने के कारण नशा होने से हुई। वन विभाग के पास तो एक्सपर्ट, लैब और संसाधन ही नहीं। जहां घटना हुई है, झील के उस एरिया में पानी काफी अरसे से नहीं आया था। नमक काफी गाढ़ा हो गया। इस बारिश में पानी आया तो इससे नमक जहरीला बन गया। *यह कारण एक्सपर्ट पैनल के मुताबिक है। इसमें हर्षवर्धन (40 साल से बर्डिंग कर रहे), राज चौहान (32 साल से बर्डिंग में), दिनेश दुर्रानी (वरिष्ठ बर्ड गाइड), सुधीर गर्ग (बर्डिंग जानकार), रोहित गंगवाल, (एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के डिस्ट्रीक कॉर्डिनेटर) रहे हैं।