निचली अदालत, दिल्ली हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्भया के दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच ने सोमवार को पवन के वकील एपी सिंह से सवाल किया कि पुनर्विचार याचिका में भी आपने यही मामला उठाया था, अब इसमें नई जानकारी क्या है और क्या यह विचार करने योग्य है? एपी सिंह ने दलील दी कि पवन के उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी पुलिस ने जानबूझकर छिपाई। हाईकोर्ट ने भी तथ्यों को नजरंदाज किया। कोर्ट का सवाल, दोषी के वकील का जवाब सुप्रीम कोर्ट ने एपी सिंह से सवाल किया- पुनर्विचार याचिका में भी दोषी ने यही बात उठाई थी। अब आपके पास इसमें क्या नई जानकारी है। क्या यह अब विचार करने योग्य है? एपी सिंह ने कहा- इस मामले में बहुत बड़ी साजिश है। दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई है। वारदात के वक्त पवन की उम्र 17 साल, 1 महीने और 20 दिन थी। ऐसे में वारदात में उसकी भूमिका नाबालिग के तौर पर देखी जाए। दोषी पवन ने दिल्ली हाईकोर्ट में भी वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। लेकिन, हाईकोर्ट ने तथ्यों को नजरंदाज कर दिया। पवन ने याचिका में कहा- न्याय प्रक्रिया में चूक मुझे फांसी के फंदे तक पहुंचा देगी पवन ने याचिका में कहा था, "हाईकोर्ट ने नाबालिग होने की दलीलों और सबूतों को अनदेखा कर फैसला दिया, लिहाजा इंसाफ किया जाए। न्याय प्रक्रिया में थोड़ी सी भी चूक मुझे फांसी के फंदे तक पहुंचा देगी। जांच अधिकारियों ने उम्र का निर्धारण करने के लिए हड्डियों की जांच नहीं की थी। मेरे मामले को जुवेनाइल एक्ट की धारा 7 (1) के तहत चलाया जाए।" निचली अदालत में भी दोषी ने यही बात कही थी। यहां भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। इसके बाद वह हाईकोर्ट पहुंचा था। यहां निराशा हाथ लगी तो सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।