सुप्रीम कोर्ट ने ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के पुनर्गठन मामले में राजस्थान सरकार को राहत देते हुए राज्य की बाकी ग्राम पंचायतों में नोटिफिकेशन के अनुसार अप्रैल की मध्यावधि में चुनाव कराए जाने की छूट दी है। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि उन्हें चुनाव कराए जाने के लिए समय चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अप्रैल में चुनाव कराए जाने का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट के सीजे आई एसए.बोबड़े, की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश शुक्रवार को राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों की एसएलपी पर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभावना है कि अब राज्य सरकार अपने नोटिफिकेशन व पंचायतों के पुनर्गठन के अनुसार 15 अप्रैल से चुनाव करवाएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एसएलपी में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने 85 याचिकाओं में फैसला देते हुए ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार की ओर से 15 व 16 नवंबर के बाद जारी सभी नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आठ जनवरी को हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ के 13 दिसंबर 2019 के आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार की ओर से एएजी मनीष सिंघवी व एएजी आरपी सिंह ने दलील दी थी कि राज्य सरकार को नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई विधायी थी और हाईकोर्ट को उसमें दखल देने का अधिकार नहीं था। नई गठित की गई पंचायतों व पंचायत समितियों से प्रार्थियों के किन्हीं मौलिक व विधिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है। ग्राम पंचायत चुनाव पर रोक से किया था इनकार वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी को ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियों के पुनर्गठन को चुनौती देने के मामले में राज्य की ग्राम पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार किया था। एक निजी पक्षकार नागौर के मकराना निवासी नारायण सिंह ने एसएलपी में कहा था कि राज्य में पंचायतों का पुनर्गठन गलत हुआ है ऐसे में ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों के चुनावों पर रोक लगाई जाए।