दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में इस्लामिक धार्मिक आयोजन (मरकज) के बाद 1500 से ज्यादा लोग उसी जगह पर ठहरे हुए थे। पिछले तीन दिनों से इन्हें यहां से निकाला जा रहा है। मंगलवार शाम 5 बजे तक 1548 लोगों को डीटीसी बसों के जरिए अलग-अलग हॉस्पिटल्स ले जाया गया। इनकी जांच की जा रही है। रविवार के दिन 200 लोगों को यहां से हॉस्पिटल ले जाया गया था, इनमें से 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। बाकी लोगों की रिपोर्ट का इंतजार है। मरकज से लोगों को 32-32 की खेप में बसों के जरिए हॉस्पिटल ले जाया गया। देश में लॉकडाउन के ऐलान के बाद इस तरह लोगों का इकट्ठा होना अपराध है। लेकिन, मरकज आयोजित करने वाले मस्जिद प्रशासन का कहना है कि उन्होंने किसी तरह के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। इनका कहना है, 'यह आयोजन हर साल एक बार होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने जब जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी, उसी दिन से मरकज को बंद कर दिया गया, लेकिन ट्रेनें न चलने के कारण मरकज में आए लोग यहीं फंसे रह गए। जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले ही रेलवे ने देशभर की कई ट्रेनों को रद्द कर दिया था। 22 तारीख को रात 9 बजे तक कहीं नहीं निकला जा सका। इसी दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 23 तारीख को सुबह 6 बजे से 31 मार्च राज्य में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया और फिर 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया। ऐसे में मरकज में आए लोगों कहीं नहीं जा पाए। हालांकि 1500 से ज्यादा लोगों को किसी तरह निजी वाहनों के जरिए घरों तक पहुंचाया गया। लेकिन करीब इतने ही लोग यहां फंसे रह गए।'