पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सात विपक्षी दलों की कोशिशों की आलोचना की है। उन्होंने मंगलवार को कहा- "कांंग्रेस का ये फैसला गलत था। मैंने पहले ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आगाह किया था। उधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यदि कांग्रेस राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देती है, तो यह उसके लिए आत्महत्या का कदम उठाने जैसा होगा। हमारी पार्टी न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती: ममता - ममता ने मंगलवार को कहा कि चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के फैसले को उनकी पार्टी ने समर्थन नहीं किया था। इसकी वजह थी कि हमारी पार्टी न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है। - एक क्षेत्रीय चैनल से बातचीत में ममता ने कहा- "कांग्रेस ने सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस देकर गलत किया। कांग्रेस हमसे इस मामले में समर्थन चाहती थी। लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।" - "मैंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाने के लिए पहले ही चेताया था।" संसद सर्वोच्च, उसके फैसले की समीक्षा नहीं की जा सकती: जेटली - अरुण जेटली ने कहा- "संसद सर्वोच्च है। उसके अपने क्षेत्राधिकार हैं। उसकी प्रक्रिया की न्यायिक समीक्षा में नहीं की जा सकती है।" - महाभियोग मुद्दे पर अरुण जेटली ने एक सप्ताह में फेसबुक पर अपनी दूसरी पोस्ट की। इसमें उन्होंने लिखा, नायडू के फैसले को चुनौती देना कांग्रेस के लिए आत्महत्या करना जैसा होगा। राज्यसभा या लोकसभा के स्पीकर को यह पूरा अधिकार है कि वे प्रस्ताव को स्वीकार करें या खारिज कर दें। किसी भी प्रस्ताव का स्वीकार या खारिज करना संसद की विधिक कार्यवाही का एक हिस्सा है। - जेटली के मुताबिक, बहुत से नामी वकील अब संसद के सदस्य हैं और बहुत से राजनीतिक दल उनकी काबिलियत को देखते हुए कुछ को नामांकित भी करते हैं। वही किया जो सबसे संभावित तरीका था - वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि कुछ लोग मेरे फैसले को जल्दबाजी में लिया गया बता रहे हैं। नायडू ने कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मंजूरी है, लेकिन अंत में सत्य की ही जीत होती है। मैंने वही किया है जो उस समय सबसे संभावित तरीका था।' - नायडू ने कहा कि उनका फैसला संविधान के सख्त प्रावधानों और न्यायाधीशों से (पूछताछ) अधिनियम, 1968 के अनुरूप है। न्यायाधीशों से (पूछताछ) अधिनियम, 1968 की धारा 3 कहती है कि राज्यसभा का सभापति प्रथम दृष्टया आरोपों पर विचार करेगा। उसके पास इसे स्वीकार करने या खारिज करने का अधिकार होगा। - नायडू ने कहा, मैंने अपना काम किया और मैं इससे पूरी तरह संतुष्ट भी हूं। यह फैसला बिल्कुल समय पर और सोच-समझकर लिया गया है।