नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम (77) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यानी बाकी बची जिंदगी उसे जेल में ही काटनी होगी। उसके दो सहयोगियों शिल्पी और शरतचंद्र को भी 20-20 साज जेल की सजा हुई। कोर्ट रूम में सजा सुनकर आसाराम पहले रोने लगा। फिर कहा, ‘‘जैसी ऊपर वाले की मर्जी। हम यहीं (जेल में) रहेंगे।’’ इससे पहले विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने बुधवार सुबह सेंट्रल जेल में कोर्ट लगाकर इन्हें दोषी करार दिया था। इंदिरा गांधी के हत्यारों, आतंकी अजमल आमिर कसाब और डेरा प्रमुख गुरमीत राम-रहीम के केस के बाद ये देश का चौथा ऐसा बड़ा मामला है, जब जेल में कोर्ट लगी और वहीं से फैसला सुनाया गया। पॉक्सो एक्ट के तहत भी ये पहला बड़ा फैसला है। चार वजह, जिनके चलते आसाराम को दोषी करार दिया गया 1) जहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी होती है, उसका अपराध ज्यादा गंभीर माना जाता है। ऐसा ही राम रहीम के केस में भी हुआ था। उस केस में जज ने कहा था- जिसने अपनी साध्वियों को ही नहीं छोड़ा और जो जंगली जानवर की तरह पेश आया, वह किसी रहम का हकदार नहीं है। 2) मामला नाबालिग से दुष्कर्म का था। जिसके संरक्षण में नाबालिग रहता है, वही उसका शोषण करे तो अपराध और भी संगीन माना जाता है। 3) पॉक्सो एक्ट 2012 में नाबालिग की उम्र 16 से 18 हो गई, पीड़िता 17वें साल में थी। इसलिए 2013 में दर्ज आसाराम के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत ही धाराएं लगीं। 4) द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट 2013 में दुष्कर्म की परिभाषा बदल गई, इसलिए 376 लगी। हाईकोर्ट में ही हो सकती है अपील पॉक्सो एक्ट के तहत बनाई गई कोर्ट जिला और सेशन कोर्ट स्तर की होती है। ऐसे में अब फैसले और सजा के खिलाफ अपील सीधे हाईकोर्ट में होगी। आसाराम की प्रवक्ता नीलम दुबे ने कहा कि हम अपनी कानूनी टीम से सलाह लेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। फैसले की सबसे बड़ी कड़ी : पीड़ित लड़की का अपने बयान पर टिके रहना 1) दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया। 2) उत्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े। 3) आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ। तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे। 4) कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिशें हुईं। जांच अधिकारी को बचाव पक्ष के वकीलों ने बार-बार कोर्ट में बुलवाया। एक गवाह को 104 बार बुलाया गया। 5) आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है। 6) फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया। 7) आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली। 8) जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए। आसाराम का गुनाह : इलाज के बहाने शिष्या से ज्यादती की - आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली इस शिष्या ने अपने बयान में कहा था, ‘"मुझे दौरे पड़ते थे। गुरुकुल की एक शिक्षिका ने मेरे माता-पिता से कहा कि आसाराम से इलाज कराएं। आसाराम ने मुझे जोधपुर के पास मणाई गांव के फार्म हाउस में लाने को कहा। वहां पहुंचे तो मेरे माता-पिता को बाहर रोक दिया गया।’’ - ‘‘उनसे कहा गया कि आसाराम विशेष तरीके से मेरा अकेले में इलाज करेंगे। इसके बाद मुझे एक कमरे में भेज दिया गया। वहां पर आसाराम पहले से मौजूद था। उसने मेरे साथ अश्लील हरकतें की। साथ ही धमकी दी कि यदि मैं चिल्लाई तो कमरे से बाहर बैठे उसके माता-पिता को मार दिया जाएगा। मुझे ओरल सेक्स करने को कहा गया, लेकिन मैंने मना कर दिया।’’