नरेंद्र मोदी ने रविवार को 44वीं बार अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश की जनता के सामने अपने विचार रखे। सबसे पहले उन्होंने समुद्र से दुनिया की सैर करके आठ महीने में लौटी छह सदस्यीय महिला नेवी टीम तारिणी को बधाई दी। मोदी ने जीवन में खेलों का महत्व बताते हुए देशवासियों से इन्हें सहेजने और लोकप्रिय बनाने की अपील की। उन्होंने फिटनेस कैम्पेन को मिल रहे बेहतर रिस्पॉन्स पर खुशी जताई। फिटनेस का चैलेंज हमें फिट रखेगा - मोदी ने कहा, "पिछले महीने जब मैंने फिट इंडिया की बात की थी तो मुझे नहीं पता था कि इतना अच्छा रिस्पॉन्स आएगा। फिट इंडिया से आज हर कोई जुड़ रहा है। अभिनेता हों, जवान हों, टीचर हों, खिलाड़ी हों। मुझे खुशी है कि विराट कोहली ने मुझे चैलेंज किया है और मैंने भी उनके चैलेंज को स्वीकार किया है। ऐसा चैलेंज हमें फिट रखेगा।" खेलों को खोने न दें, इन्हें सहेजें - "जो खेल कभी-कभी बच्चों के जीवन का हिस्सा होते थे वो आज कम होते जा रहे हैं। पहले बच्चे बेफिक्री से घंटों तक खेला करते थे। परिवार भी इसमें शामिल रहते थे। गिल्ली डंडे हो, कंचे हों या लट्टू हो, खोखो हो या पिट्ठू हो। ये देश के हर कोने में खेले जाते थे। हमारे देश की विविधता में छिपी एकता भी इन खेलों से जानी जा सकती है। हममें से कौन होगा जिसने बचपन में गिल्ली डंडा ना खेला हो। अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग नामों से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश में अलग, ओडिशा में अलग।" - "हर खेल का एक मौसम होता है। पतंग उड़ाने का अलग मौसम होता है। हमने देखा है कि जो बच्चे बहुत शर्मीले होते हैं, वे खेल से काफी चंचल हो जाते हैं। खेल सिर्फ खेल नहीं होते वे जीवन के मूल्य सिखाते हैं। टीम स्पिरिट, परस्पर सहयोग सिखाते हैं। ओवरऑल डेवलपमेंट में खेल काफी काम आ रहे हैं। बच्चों से लेकर दादा-दादी, नाना-नानी खेलते हैं तो जेनरेशन गैप खत्म हो जाता है। कभी-कभी चिंता होती है कि ये खेल कहीं खो नहीं जाएं। इसलिए इन पारंपरिक खेलों को खोना नहीं है। आज आवश्यकता है लोग इन खेलों को बढ़ावा दें। इनके वीडियो और एनिमेशन भी बनाए जा सकते हैं। युवा इन्हें देखेंगे और खेलेंगे।" नेहरू को नमन, सावरकर के संघर्ष की सराहना - मोदी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनकी पुण्यतिथि और वीर सावरकर की जयंति पर उन्हें याद किया। - उन्होंने कहा, "आज 27 मई है। पंडित नेहरू जी की पुण्यतिथी है। मैं उन्हें नमन करता हूं।" - "28 मई को वीर सावरकर की जयंती है। उनका व्यक्तित्व विशेषताओं से भरा था। वे शस्त्र और शास्त्र दोनों के उपासक थे। आमतौर पर लोग वीर सावरकर को उनकी बहादुरी और ब्रिटिश राज के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए जानते हैं, लेकिन इन सबके अलावा वे एक ओजस्वी कवि और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने सद्भावना और एकता पर बल दिया। सावरकर जी के बारे में एक अद्भुत वर्णन हमारे प्रिय आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने किया है। अटल जी ने कहा था- सावरकर माने तेज, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तर्क, सावरकर माने तारुण्य, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तलवार। कितना सटीक चित्रण किया था अटल जी ने।" भारत पर्यावरण दिवस की मेजबानी करेगा - "आने वाले 5 जून को हमारा देश विश्व पर्यावरण दिवस को होस्ट करेगा। जलवायु संरक्षण पर भारत बाकी देशों को लीड करेगा। वर्ल्ड एनवायरोनमेंट डे की वेबसाइट पर जाएं और उसे देखें। प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना, उसकी रक्षा करना हमारा संस्कार होना चाहिए, पिछले कुछ महीनों में हमने देखा कि आंधी तूफान और गर्मी से जनहानी हुई। हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना है। जुड़ के रहना है। महात्मा गांधी ने इसकी वकालत की थी। पेरिस समझौते में जब भारत ने पर्यावरण को बचाने के लिए अग्रिम भूमिका निभाई तो इसके पीछे महात्मा गांघी की सोच थी।"