प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक हफ्ते में दूसरी बार उत्तरप्रदेश पहुंचे। शनिवार को शाहजहांपुर में ‘किसान कल्याण रैली' में उन्होंने बिना नाम लिए राजीव गांधी और राहुल गांधी पर तंज कसा। मोदी ने कहा कि एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि योजनाओं के लिए दिए जाने वाले एक रुपए में से 15 पैसे ही लोगों तक पहुुंचते हैं। ये कौन सा पंजा था जो रुपए को घीस रहा था? सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने उनसे पूछा कि अविश्वास का क्या कारण है? जब नहीं बता पाए तो गले पड़ गए। शुक्रवार को राहुल लोकसभा में अपना भाषण खत्म कर मोदी से गले मिले थे। मोदी ने कहा, ''जितने दल मिलते जाएंगे, दलदल बनेगा। जितना ज्यादा दलदल होता है, उतना ज्यादा कमल खिलता है। अहंकार, दंभ और दमन के संस्कार आज युवा भारत सहने को तैयार नहीं है। चाहे साइकिल हो या हाथी, कोई भी हो साथी। स्वार्थ के इस पूरे स्वांग को देश समझ चुका है। आपको पता चल गया होगा कि वे कुर्सी के लिए कैसे दौड़ रहे हैं? पीएम की कुर्सी के अलावा उन्हें कुछ नहीं दिखता। उन्हें न किसान दिखता है, न जवान दिखता है। मोदी कुछ नहीं, ताकत सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों की: मोदी ने कहा, ‘‘क्या मैंने कोई गलत काम किया है? क्या मैं गलत रास्ते पर चल रहा हूं? मेरा गुनाह यही है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा हूं, मैं परिवारवाद के खिलाफ लड़ रहा हूं। कुछ दल कहते हैं, उन्हें मोदी पर विश्वास नहीं है। हम उन्हें समझाते रहे ये कि खेल खेलना ठीक नहीं। जनता से उलझना ठीक नहीं है। मोदी कुछ नहीं है। ये ताकत सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों की है।'' रामप्रसाद बिस्मिल को याद किया: मोदी ने कहा, ''बिस्मिल की धरती शाहजहांपुर को मैं प्रणाम करता हूं। खेत की जोत से राष्ट्र के जागरण तक बिस्मिल ने जो योगदान दिया है, यह पूरे देश को प्रेरणा देने वाला है। पिछले दिनों यूपी, पंजाब, राजस्थान, बंगाल में किसानों के बीच जाने का मौका मिला। मैं जहां भी गया, मेरे अन्नदाताओं ने मुझे और भाजपा को जो आशीर्वाद दिया, मैं उससे अभिभूत हूं।'' एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की : मोदी ने कहा, ‘‘धान मक्का, दाल जैसी 14 फसलों के एमएसपी में 200 से 1800 रुपए तक की बढ़ोतरी इतिहास में पहले कभी नहीं हुई। आपके गन्ने का पूरा बकाया जल्द से जल्द मिले, इसके लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। हमने चीनी के आयात पर 100% टैक्स लगाया। 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई। चीनी के लिए न्यूनतम मूल्य तय किया, ताकि चीनी मिल नुकसान का बहाना न बना सकें।''