सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में आरोपी नेताओं के दोषी ठहराए जाने से पहले उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, इसके लिए एक गाइडलाइन जारी की। बेंच ने कहा- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कम से कम तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उनके आपराधिक रिकॉर्ड का प्रचार करें। उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी वेबसाइट पर डालें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर डालें। इस पर कानून बनाने का वक्त आ गया है ताकि आपराधिक रिकॉर्ड वालों को सदन में जाने से रोका जा सके। भाजपा नेता की एक अन्य याचिका में विधायकों और सांसदों के वकालत करने पर भी रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया है। कहा कि वे फुल टाइम सैलरी पाने वाले कर्मचारी नहीं हैं। इसी वजह से बार काउंसिल ने भी उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के मुताबिक, 2014 में चुने गए सांसदों में से 186 यानी 34% सांसदों पर आपराधिक केस दर्ज था। इसके लिए एडीआर ने 543 में से 541 सांसदों के एफिडेविट का एनालिसिस किया था। एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया कि 2004 से ऐसे सांसदों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। 2004 में 24% और 2009 में 30% सांसद ऐसे थे जिन पर आपराधिक मामले दर्ज थे।