नीरव मोदी की जमानत अर्जी बुधवार को यूके हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दी। जज इनग्रिड सिमलर ने कहा कि इस बात का ठोस आधार है कि नीरव सरेंडर नहीं करेगा। जज ने यह आशंका भी जताई कि गवाहों को प्रभावित कर कानूनी प्रक्रिया को बाधित किया जा सकता है। हाईकोर्ट से पहले वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी यही कहते हुए नीरव की अर्जी 3 बार खारिज की थी। वेस्टमिंस्टर कोर्ट से तीसरी बार याचिका खारिज होने के बाद नीरव ने 31 मई को हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। हाईकोर्ट में नीरव की याचिका पर बीते मंगलवार (11 जून) को सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने कहा था कि फैसले के लिए वक्त चाहिए, इसलिए बुधवार की तारीख दी। नीरव 86 दिन से लंदन की वांड्सवर्थ जेल में है। 19 मार्च को उसकी गिरफ्तारी हुई थी। हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान नीरव की वकील क्लेर मोंटगोमरी ने कहा था कि जमानत मिलने पर नीरव इलेक्ट्रोनिक डिवाइस से निगरानी रखे जाने के लिए तैयार है, उसका फोन भी ट्रैक किया जा सकेगा। मोंटगोमरी ने कहा कि नीरव यहां पैसा कमाने आया है। अब तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई जिससे लगे कि वह भाग सकता है। उसके बेटे-बेटी भी यहां पढ़ाई के लिए आने वाले हैं। नीरव का ब्रिटेन आना संयोग नहीं था- सीपीएस भारत की ओर से केस लड़ रही क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा- नीरव पर आपराधिक और धोखाधड़ी के आरोप हैं। यह असुरक्षित कर्ज का मामला है। जज ने भी अब तक यह समझ लिया है कि इस मामले में डमी पार्टनर्स के जरिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स जारी किए गए। हमने जज से कहा कि आपने मामला सही समझा है। सीपीएस ने कहा, "हमने जज को बताया कि नीरव को प्रत्यर्पण का केस चलने के दौरान जमानत दी जाती है तो यह अलग बात है। लेकिन, अभी जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उस पर गंभीर आरोप हैं। उसका ब्रिटेन आना कोई संयोग नहीं था। जिस तरह से उसने धोखेबाजी की, वह जानता था कि यह दिन आएगा। उसने जमानत के लिए जमानत राशि का प्रस्ताव भी रखा। अगर उसे जमानत दी जाती है तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका है।