पश्चिम बंगाल में अपने साथियों से हुई मारपीट के विरोध में जूनियर डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को बातचीत का प्रस्ताव दिया था, जिसे डॉक्टरों ने शनिवार को ठुकरा दिया। गुरुवार को ममता ने कहा था कि डॉक्टर अपनी हड़ताल खत्म कर काम पर लौटें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई होगी। इसी बयान को लेकर बंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम नाराज है। उन्होंने ममता के सामने 6 शर्तें भी रखीं हैं। वहीं, दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल सरकार को मांगें मानने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी भी दी। भाजपा का आरोप- ममता आरोपियों को बचा रहीं बंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम के प्रवक्ता अरिंदम दत्ता ने कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री के न्योते पर सचिवालय में बैठक के लिए नहीं जाएंगे। वे खुद एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आएं। यहां वे अपने उस बयान के लिए मांफी मांगें, जो उन्होंने एसएसकेएम अस्पताल में गुरुवार को दिया था।’’ वहीं, बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों पर हमला करने वाले आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं। 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 14 जून से तीन दिनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने के साथ 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। आईएमए ने अस्पतालों में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा की जांच के लिए कानून बनाने की मांग की। संगठन का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों को कम से कम 7 साल जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए।