प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का लोकसभा में मंगलवार को जवाब दिया। मोदी ने कहा, "हमें इसलिए दोष दिया जाता है कि हमने कुछ लोगों को जेल में नहीं डाला। यह आपातकाल नहीं है कि सरकार किसी को भी जेल में डाल दे। यह लोकतंत्र है और न्यायपालिका इस पर फैसला करेगी। हम कानून को उसका काम करने देते हैं और अगर किसी को जमानत मिलती है तो वह उसे एन्जॉय करें। हम बदला लेने में भरोसा नहीं करते। लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हमें देश ने इतना दिया है कि हमें गलत रास्ते पर जाने की जरूरत नहीं है।'' दरअसल, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मोदी से कहा था कि आप सोनिया-राहुल को चोर बताकर सत्ता में आए, फिर वे संसद में कैसे बैठे हैं? मोदी ने कहा, ''यहां (सदन में) बताया गया कि हमारी ऊंचाई को कोई तौल नहीं सकता। हम ऐसी गलती नहीं करते। हम किसी की लकीर छोटी करने में यकीन नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने में जिंदगी खपा देते हैं। आपकी ऊंचाई आपको मुबारक हो, आप इतने ऊंचे चले गए कि आपको जमीन दिखनी बंद हो गई। जड़ों से उखड़ गए, जमीन पर जो हैं, वे आपको तुच्छ दिखते हैं। आपका और ऊंचा होना मेरे लिए अत्यंत संतोष का विषय है। मेरी कामना है कि आप और ऊंचे उठें। ऊंचाई पर आपसे कोई बहस नहीं है। हमारा सपना ऊंचा होने का नहीं, जड़ों से जुड़ने का है, हमारा रास्ता जड़ों से ताकत पाकर देश को मजबूती देना है। हम इस प्रतिस्पर्धा में आपको शुभकामनाएं देते हैं कि आप और ऊंचे उठते जाएं।'' इमरजेंसी का दाग मिटने वाला नहीं- मोदी प्रधानमंत्री ने कहा, ''लोगों को जानकारी है कि 25 जून को क्या है? 25 जून की वह रात देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। भारत में लोकतंत्र संविधान के पन्नों से पैदा नहीं हुआ है, भारत में लोकतंत्र सदियों से हमारी आत्मा में है। आत्मा को कुचल दिया गया था। मीडिया को दबोच लिया गया था, महापुरुषों को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था। हिंदुस्तान को जेलखाना बना दिया गया था। सिर्फ इसलिए किया गया कि किसी की सत्ता चली ना जाए। न्यायपालिका का अनादर कैसे होता है, इसका जीता-जागता उदाहरण है। 25 जून को हम लोकतंत्र के प्रति फिर से एक बार संकल्प दोहराते हैं। उस समय जो भी इस पाप के भागीदार थे, वे जान लें कि दाग कभी मिटने वाला नहीं। इस दाग को हमेशा याद करने की जरूरत है, क्योंकि देश में फिर कोई ऐसा ना पैदा हो जो इस पाप के रास्ते जाए। किसी को बुरा-भला कहने से कुछ नहीं होता है।'' 'छोटा सोचना मुझे पसंद नहीं' मोदी ने कहा, "तात्कालिक लाभ मेरी सोच का दायरा नहीं। छोटा सोचना मुझे पसंद नहीं है। मुझे कभी-कभी लगता है कि देशवासियों के सपने को अगर जीना है तो छोटा सोचने का अधिकार भी मुझे नहीं है। 'जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तो देखना फिजूल है कद आसमान का।' इस मिजाज के साथ हमें आगे के लिए नए हौसले, नए इरादों के साथ इस सरकार को चलाना है। हमारे यहां कहावत है कि पूत के पांव पालने में दिखते हैं। अभी तीन सप्ताह हुए हैं, इतने से वक्त में हमें लगता था कि जाएं कहीं मालाएं पहनें, आराम करें.. पर यह हमारी फितरत नहीं है। इस अरसे में हमने महत्वपूर्ण फैसले लिए। सेना के जवानों की छात्रवृत्ति की बढ़ोतरी की। मानवाधिकारों से जुड़े अहम कानून संसद में लाने की तैयारियां पूरी कीं।''