बिमल जालान कमेटी ने आरबीआई के कैपिटल रिजर्व पर फाइनल रिपोर्ट तैयार कर ली है। बुधवार को कमेटी की आखिरी मीटिंग हुई। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 3-5 साल के अंदर अलग-अलग हिस्सों सरकार को सरप्लस फंड ट्रांसफर करने की सिफारिश की गई है। कमेटी ने कितनी रकम की सिफारिश की है यह पता नहीं चल पाया है। आरबीआई को अपने रिजर्व फंड में कितना पैसा रखना चाहिए और सरकार को कितनी रकम सरकार को ट्रांसफर करनी चाहिए, यह तय करने के लिए रिजर्व बैंक ने पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर 2018 को 6 सदस्यीय समिति बनाई थी। आरबीआई के पास कुल एसेट के 28% के बराबर रिजर्व फंड कैश सरप्लस के मुद्दे पर केंद्रीय बैंक और सरकार के विवाद के चलते आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने पिछले साल दिसंबर में इस्तीफा दे दिया था। विभिन्न अनुमानों के मुताबिक आरबीआई के पास 9 लाख करोड़ रुपए का सरप्लस फंड है। यह आरबीआई के कुल एसेट का करीब 28% है। सरकार का कहना था कि दूसरे बड़े देशों के केंद्रीय बैंक अपने एसेट का 14% रिजर्व फंड में रखते हैं। रिजर्व बैंक का सरप्लस फंड मिलने से सरकार को वित्तीय घाटा काबू में रखने में मदद मिलेगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.3% के बराबर वित्तीय घाटे का लक्ष्य रखा है। सरप्लस कैपिटल ट्रांसफर के अलावा मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार को आरबीआई से 90 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड के रूप में मिलने की उम्मीद है। पिछले साल 68 हजार करोड़ मिले थे। फंड तय करने के लिए पहले भी 3 समितियां बनी थीं आरबीआई का रिजर्व फंड तय करने के लिए पहले भी तीन समितियां बनी थीं- वी सुब्रमण्यम (1997), उषा थोराट (2004) और वाई.एस. मालेगाम (2013) समिति। सुब्रमण्यम समिति ने 12% और थोराट समिति ने 18% रिजर्व की सिफारिश की थी। आरबीआई के बोर्ड ने थोराट कमेटी की सिफारिश नहीं मानी थी। बल्कि, सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिश को ही जारी रखा था। मालेगाम कमेटी ने कोई आंकड़ा नहीं बताया था लेकिन कहा था कि आरबीआई को हर साल पर्याप्त रकम ट्रांसफर करनी चाहिए।