चंद्रयान-2 मंगलवार सुबह 9.02 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। कक्षा में पूरी तरह स्थापित होने में इसे करीब आधे घंटे लगे। इसरो ने यह जानकारी दी। 23 दिन पृथ्वी के चक्कर लगाने के बाद चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में इसे 6 दिन लगे। अब यान 13 दिन तक चंद्रमा चक्कर लगाएगा। 7 सितंबर को चांद की सतह पर पहले से निर्धारित जगह (दक्षिणी ध्रुव) पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा कि मिशन का सबसे जटिल दौर पूरा हुआ। चंद्रयान-2 ने तय कक्षा में प्रवेश किया। सिवन के मुताबिक, ‘‘7 सितंबर को रात 1.55 बजे चंद्रयान-2 चांद की सतह पर लैंड करेगा। अगला बड़ा पड़ाव 2 सितंबर को होगा, जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा। 3 सितंबर को चंद्रयान 3 सेकंड के लिए स्थान बदला जाएगा। इससे तय हो जाएगा कि लैंडर का सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा है।’’ लैंडिंग ऐसी जगह, जहां रोशनी ज्यादा चंद्रयान-2 मिशन की लॉन्चिंग की तारीख पहले 15 जुलाई थी। बाद में इसे 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था। मिशन की लॉन्चिंग की तारीख पहले आगे बढ़ाने के बावजूद चंद्रयान-2 चांद पर तय तारीख (7 सितंबर) को ही पहुंचेगा। इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय शेड्यूल के हिसाब से काम कर सकें। समय बचाने के लिए चंद्रयान ने पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाया। पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर बाद में इसे चार किया गया। लैंडिंग ऐसी जगह तय है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है। रोशनी 21 सितंबर के बाद कम होनी शुरू होगी। लैंडर-रोवर को 15 दिन काम करना है, इसलिए समय पर पहुंचना जरूरी है।