कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में कहा कि सबसे पहले दो राष्ट्र की बात सावरकर ने की थी। वे चाहते थे कि हिंदू और मुस्लिम के दो देश बने। यह प्रस्ताव मुस्लिम लीग के पाकिस्तान रिजॉल्यूशन पास होने से तीन साल पहले हिंदू महासभा में आया था। दीन दयाल उपाध्याय को मोदी अपना मेंटर मानते हैं। यह उन्होंने भी स्वीकार किया था कि मुस्लिमों के लिए अलग देश होना चाहिए। कांग्रेस सांसद और अंग्रेजी साहित्यकार शशि थरूर ने गांधी और नेहरू पर बात करते हुए कहा कि आज जो सत्ता में हैं वो एक अलग राजनीतिक परंपरा के साथ आए हैं। विभाजन के वक्त कुछ मुस्लिम पाकिस्तान बनाना चाहते थे। वहीं, भारत में बहुत बड़ी संख्या में लोग जिन्होंने गांधी और नेहरू को फॉलो किया, वो चाहते थे कि हमारी पहचान धर्म से नहीं होनी चाहिए। सभी स्वतंत्र और देशप्रेमी होने चाहिए। इस कारण हमारा संविधान बना। हिंदुत्व मूवमेंट ने इस संविधान को नहीं माना, जो 1952 में सावरकर के मूवमेंट से शुरू हुआ। हिंदुत्व मूवमेंट ने संविधान को नकार दिया था। इसके बारे में सावरकर ने भी लिखा है। हमारा संविधान गांधीजी के विजन से अलग नहीं था- थरूर सांसद थरूर ने कहा- हमारा संविधान गांधीजी के विजन से अलग नहीं था। गांधीजी हिंदूज्म में विश्वास रखते थे। दूसरों के धर्म का भी सम्मान करते थे। रोज सुबह भजन के साथ कुरान, गुरुग्रंथसाहब भी पढ़ी जाती थी। तकरीबन हर धर्म की प्रार्थना की जाती थी। गांधीजी भी इस तरह का देश चाहते थे, जिन्हें आरएसएस के एक पूर्व कार्यकर्ता ने मार दिया था। वह मानता था कि गांधीजी मुस्लिमों को हिंदुओं से पहले रखते हैं। ओणम का जिक्र करते हुए अमित शाह पर साधा निशाना सांसद थरूर ने कहा- ओणम केरल का सबसे बड़ा उत्सव है, जिसे हर धर्म के लोग मनाते है, जो महाबली की कहानी से शुरू हुआ है। उसमें विष्णुजी वामन का अवतार लेकर आते हैं और तीन कदम जमीन मांगते हैं। विष्णु पहला पांव धरती पर रखते हैं। दूसरा स्वर्ग पर और तीसरा महाबली के सिर पर, जिससे महाबली दूसरी दुनिया में चले जाते हैं। लेकिन, वो जाने से पहले विष्णु भगवान से कहते हैं कि वो हर साल अपनी जनता को देखने आना चाहते हैं। विष्णु उन्हे आशीर्वाद देते हैं, जिसके कारण महाबली हर साल आते हैं और ओणम मनाया जाता है। इस पर अमित शाह और भाजपा क्या करती है। ओणम से एक दिन पहले वो क्या करते हैं। वो ट्वीट करते हैं हैप्पी वामनपूजा। आप सोच सकते हैं, महाबली हर साल अपनी जनता के बीच आते हैं और भाजपा कहती है वामनपूजा। इसी वजह से भाजपा केरल में कभी सीटें नहीं जीत पाई।