जम्मू-कश्मीर में हाल ही में राज्यपाल शासन लगने के बाद पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसपी वैद ने कहा था कि अब घाटी में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करना ज्यादा आसान हो जाएगा। वैद वही पुलिस अफसर हैं जिन पर कई बार छिटपुट गोलीबारी और चार बड़े आतंकी हमले हुए। इनमें 25 आतंकियों का एक साथ हमला, ग्रेनेड की बौछार और हेलिकॉप्टर पर रॉकेट दागा जाना शामिल है। ये हमले उन पर, उनके बॉडीगार्ड्स पर, उनके साथी जवानों पर, पत्नी और 2 महीने की बेटी पर हुए। हम बता रहे हैं जम्मू-कश्मीर के उस पुलिस प्रमुख की तीन उंगलियों के सैल्यूट की कहानी जो आतंकियों के खिलाफ हर ऑपरेशन में सेना और सीआरपीएफ के साथ अहम भूमिका निभाते हैं। वैद के तीन उंगलियों से सैल्यूट करने की वजह एक आतंकी हमला है। बात मार्च 1999 की है। तब वे बारामूला रेंज के डीआईजी थे। वे अपनी बुलेटप्रूफ एम्बेसडर से श्रीनगर से बारामूला आ रहे थे। उनके काफिले में दो एस्कॉर्ट जिप्सी थीं। काफिले पर 25 आतंकियों ने हमला कर दिया। आमतौर पर आतंकी एके-47 से हमला करते हैं, लेकिन उन्हें पता था कि वैद की कार बुलेटप्रूफ है। इसलिए उन्होंने मशीनगन और हैंडग्रेनेड से हमला किया। गोलियां कार के बुलेटप्रूफ शीशे तोड़कर अंदर आने लगीं। एक गोली वैद बाएं हाथ में लगी। डॉक्टरों ने कहा कि उनकी उंगलियां काटनी पड़ेंगी। उन्हें दिल्ली ले जाया गया। वहां सर्जरी की गई, लेकिन एक उंगली हमेशा के लिए डैमेज हो गई। यही वजह है कि वे तीन उंगलियों से सैल्यूट करते हैं। वैद जितने दिन अस्पताल में रहे, वहीं से अपनी टीम को ऑर्डर देते रहे। उनकी टीम ने आतंकियों के ग्रुप को ढूंढ निकाला और उनका खात्मा कर दिया। पुलिस महकमे में 14 साल के करियर में यह उन पर हुआ चौथा बड़ा आतंकवादी हमला था। दूसरी बार हमला हुआ तब उनके साथ 65 दिन की बेटी थी : 1990 से 1996 और 1999 के बाद कुछ सालों तक का समय वैद के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण रहा। वे बड़गाम के एडिशनल एसपी थे, तब एक बार पत्नी और दो महीने की बेटी के साथ गुलमर्ग से श्रीनगर लौट रहे थे। नेशनल हाईवे पर नारबल के पास आतंकियों ने उन्हें घर लिया। मुठभेड़ हुई, जिसमें 2 आतंकी मारे गए। वैद की पत्नी भारती और उनकी बेटी को सीआरपीएफ जवानों ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। उनके ड्राइवर ने साहस दिखाया। कंधे पर गोली लगने के बावजूद वह गाड़ी चलाता रहा। जेल में उपद्रव हुआ तो वैद को भेजा गया : दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस के अगवा विमान आईसी 814 को आतंकियों से छुड़ाने के बदले अजहर मसूद को जम्मू की कोट बलवाल जेल से छोड़ा गया था। आतंकी की रिहाई की यह पूरी प्रक्रिया वैद की देखरेख में पूरी हुई थी। इस जेल में कई आतंकी बंद हैं। एक बार 300 कैदियों ने जेल में 7 घंटे तक उपद्रव मचाया था। तब उन्हें काबू करने के लिए वैद को ही भेजा गया था। वैद को मिले कई पदक : 1986 बैच के आईपीएस ऑफिसर एसपी वैद जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के रहने वाले हैं। घाटी के सबसे खतरनाक इलाकों में उनकी पोस्टिंग रही है। उन्हें वाउंड मेडल से नवाजा जा चुका है। वीरता का यह पदक अदम्य साहस के साथ दुश्मन से सीधा मुकाबला करने वाले घायल पुलिसकर्मी को दिया जाता है। वैद को राष्ट्रपति पुलिस पदक, वीरता के लिए इंडियन पुलिस मेडल, विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक, भारतीय सेना प्रमुख का साइटेशन और गृह मंत्रालय का आतंरिक सुरक्षा पदक भी मिल चुका है।