प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 15वीं बार अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। रामनगर स्थित गंगा तट पर नेशनल वॉटरवे-1 के मल्टी मॉडल टर्मिनल (बंदरगाह) की शुरुआत की। यह देश का पहला इनलैंड वॉटरवे (नदी मार्ग) टर्मिनल है। इस दौरान मोदी ने कहा कि काशीवासी साक्षी हैं कि चार साल पहले जब मैंने बनारस और हल्दिया को जल मार्ग से कनेक्ट करने का विचार रखा था, तो किस तरह से इसका मजाक उड़ाया गया था। थोड़ी देर पहले कलकत्ता से आए जहाज ने आलोचना करने वालों को जवाब दे दिया है। मोदी ने कहा, "वाराणसी और देश विकास के उस कार्य का गवाह बना है, जो दशकों पहले होना जरूरी था, लेकिन नहीं हुआ। आज देश नेक्स्ट जेनरेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर की अवधारणा का गवाह बना है। इस पवित्र भूमि से हर किसी का अध्यात्मिक संपर्क तो है ही, आज जल-थल-नभ तीनों को जोड़ने वाली नई ऊर्जा का संचार हुआ है। कुछ देर पहले मैंने नदी मार्ग से पहुंचे देश के पहले कंटेनर व्हीकल का स्वागत किया। इस काम में दशकों लग गए, लेकिन आज मैं खुश हूं कि देश ने जो सपना देखा था, वो आज काशी की धरती पर साकार हुआ है।" 'जल मार्ग से समय और पैसा दोनों बचेगा' प्रधानमंत्री ने कहा, ''मल्टी मॉडर्न टर्मिनल से जब रो-रो सर्विस शुरू होगी तो लंबी दूरी तय करने के लिए आपको एक नया विकल्प मिलेगा। बड़े-बड़े वाहन जहाज से सीधे दूसरी जगह पहुंच जाएंगे। जितना सामान इस जहाज से आया है, उसे अगर सड़क से लाया जाता तो 16 ट्रक लगते। जल मार्ग से लाने की वजह से प्रति कंटेनर लगभग साढ़े चार हजार रुपए की बचत हुई है। 70-75 हजार रुपया सीधा बच गया है। जल मार्ग से समय और पैसा बचेगा।'' 'आजादी के बाद जल मार्गों की उपेक्षा हुई' उन्होंने कहा, ''एक जमाना था, जब देश की नदियों में बड़े-बड़े जहाज चला करते थे। लेकिन, आजादी के बाद इतने सालों में इन मार्गों की उपेक्षा की गई। देश की सामार्थ्य के साथ पहले की सरकारों ने अन्याय किया, उसे समाप्त करने का काम किया। आज देश में 100 से ज्यादा नेशनल वाटर वे पर काम हो रहा है। वाराणसी-हल्दिया उनमें से एक है। 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके इस रास्ते में सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पूर्वी भारत के बड़े हिस्से को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। ये जलमार्ग सिर्फ सामान की ढुलाई के लिए काम नहीं आएगा, टूरिज्म को, हमारे तीर्थों को पूर्वी एशियाई देशों को जोड़ने का काम करने वाला है।'' मोदी ने पहले मालवाहक जहाज की अगवानी की मोदी ने हल्दिया से वाराणसी पहुंचे पहले मालवाहक जहाज की अगवानी की। 1620 किलोमीटर लंबे वॉटरवे से गंगा के जरिए वाराणसी से कोलकाता के हल्दिया के बीच माल ढुलाई आसान होगी। इसे जलमार्ग विकास परियोजना के तहत तैयार किया गया। इसके लिए वर्ल्ड बैंक से भी मदद मिली है।