भाजपा महासचिव राम माधव ने बुधवार को कहा कि राम मंदिर पर अध्यादेश का विकल्प हमेशा खुला है। उन्होंने कहा कि अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अदालत ने इसकी सुनवाई के लिए 4 जनवरी तय की है। हमें आशा है कि अदालत इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह सुनवाई करेगा और जल्द फैसला सुनाएगा। अगर ऐसा नहीं होता है, तो हम दूसरा रास्ता अपनाएंगे। इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी सुप्रीम कोर्ट से राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की मांग की। रविशंकर प्रसाद मंगलवार को अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की 15वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब सबरीमाला मामले में जल्द फैसला आ सकता है, तो सालों से अटके इस मामले में क्यों नहीं? प्रसाद ने कहा कि मैं कानून मंत्री के नाते नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के तौर पर सुप्रीम कोर्ट से मामले पर जल्द फैसला देने की अपील करता हूं। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस एआर मसूदी भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, "इस मामले में इतने सबूत हैं कि अच्छी बात हो सकती है। लेकिन लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं कि समलैंगिकता पर 6 महीने में, सबरीमाला पर 5-6 महीने में, अर्बन नक्सल पर 2 महीने में फैसला हो जाता है। हमारे रामलला का विवाद 70 सालों से कोर्ट में अटका है। 10 साल से सुप्रीम कोर्ट के पास है, इसमें सुनवाई क्यों नहीं होती?'' कानून मंत्री ने कहा , ''हम बाबर को क्यों पूजें, उसकी इबादत नहीं होनी चाहिए।'' उन्होंने संविधान की प्रति को दिखाते हुए कहा कि इसमें राम, कृष्ण और अकबर का भी जिक्र है, लेकिन बाबर का नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में इस तरह की बात कर दो तो नया विवाद खड़ा हो जाता है।