सरकार ने शुक्रवार को संकेत दिए कि वह फिलहाल 2000 के नोटों की छपाई रोक रही है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि नोटों की छपाई अनुमानित आवश्यकता के हिसाब से तय की जाती है। हमारे पास 2000 के नोट जरूरत से ज्यादा मात्रा में हैं। सर्कुलेशन में चल रही कुल करंसी का ये 35% हैं। सरकार की यह सफाई तब आई, जब कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा था कि 2000 के नोटों को चरणबद्ध तरीके से चलन से बाहर किया जा रहा है। सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा- 2000 के नोटों की छपाई के संंबंध में हाल-फिलहाल सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि सरकार 2000 के नोटों की छपाई बंद कर चुकी है और उसकी योजना इन नोटों को चलन से बाहर करने की है। नवंबर 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया तब 1000 व 500 को नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया। रिमोनेटाइजेशन के लिए 2000 के नोट लॉन्च किए थे। नोटबंदी के वक्त कुल सर्कुलेशन की 86% करंसी चलन से बाहर हो गई थी। इस जरूरत को जल्द पूरा करने के लिए सरकार ने 2000 के बड़े नोट जारी किए थे।