कानून मंत्रालय का कहना है कि 2018 के आखिर तक हाईकोर्ट के हर जज के पास 4419 पेंडिंग केस हैं। निचली अदालतों में यह संख्या प्रति जज 1288 है। नेशनल डेटा ग्रिड की रिपोर्ट कहती है कि 24 हाई कोर्ट्स में 47.68 लाख मामले लंबित हैं। जबकि जिला और अधीनस्थ अदालतों में 2.91 करोड़ केस पेंडिंग हैं। इसमें तेलंगाना की रिपोर्ट शामिल नहीं है। यहां 1 जनवरी से हाई कोर्ट ने काम शुरू किया है। यह डेटा संसदीय कामकाज के लिए एकत्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायपालिका जजों की कमी से जूझ रही है। अधीनस्थ अदालतों में जजों के कुल स्वीकृत पद 22,644 हैं, जबकि यहां 17509 जज काम कर रहे हैं। 5135 पद खाली हैं। हाई कोर्ट्स में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 1079 है। इनमें काम कर रहे जजों की तादाद 695 है। कुल 384 पद खाली हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से भरा जाना जरूरी है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिसों से कहा है कि निचली अदालतों में न्यायिक अफसरों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज की जाए। उनका कहना है कि जजों की कमी की मुख्य वजह भर्ती प्रक्रिया का सुस्त होना है। कानून मंत्री ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिसों से आग्रह किया है कि निचली अदालतों में भर्ती के लिए समयबद्ध तरीके से परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित किए जाए। इससे गतिरोध दूर करने में सहायता मिलेगी।