आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। यह 6.25% से घटकर 6% हो गई है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक खत्म होने के बाद गुरुवार को ब्याज दरों का ऐलान किया गया। एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों में रेट घटाने का समर्थन किया। फरवरी की समीक्षा बैठक में भी आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कमी की थी, जिसके बाद रेपो रेट 6.25% हो गई थी। लोन की ईएमआई कम होगी रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। इसमें कमी होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इससे बैंकों के लिए भी ग्राहकों को लोन की दरें घटाने का रास्ता साफ होता है। हालांकि, पिछली बार बैंकों ने ब्याज दरों में उतनी कमी नहीं की जितनी आरबीआई ने रेपो रेट घटाई थी। आरबीआई ने उम्मीद जताई है कि मौजूदा वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी ग्रोथ 7.2% रहेगी। पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में खुदरा महंगाई दर 2.9-3% के बीच रहने के आसार हैं। पिछली बार आरबीआई ने 3.2-3.4% का अनुमान जारी किया था। दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में खुदरा महंगाई दर 3.5-3.8% रह सकती है। आरबीआई ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखती है। आउटलुक न्यूट्रल बरकरार पिछली बार रेट रेपो रेट में कमी के बाद भी बैंकरों ने उम्मीद जताई थी कि अप्रैल की पॉलिसी में भी रेपो रेट घटाया जा सकता है क्योंकि खुदरा महंगाई दर लगातार आरबीआई के लक्ष्य (4%) से कम है। एमपीसी ने पिछली बार आउटलुक भी सख्त से बदलकर न्यूट्रल कर दिया था। इस बार भी वही आउटलुक बरकरार रखा है। एनपीए के समाधान के नियमों का नया सर्कुलर जल्द जारी होगा: आरबीआई के गवर्नर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरबीआई का 12 फरवरी 2018 का सर्कुलर रद्द कर दिया था। उसके मुताबिक एक दिन का भी डिफॉल्ट करने पर किसी कंपनी के कर्ज को एनपीए में डालने की बात थी। इसके तहत बैंक को 180 दिन की डेडलाइन खत्म होने के 15 दिन के भीतर आईबीसी कोड के तहत कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने की अर्जी देनी होती है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि एनपीए के समाधान नियमों का नया सर्कुलर जल्द जारी किया जाएगा। लोन पर ब्याज दरें घटाना बैंकों पर निर्भर आरबीआई के रेट घटाने पर बैंक ग्राहकों को तुरंत और पूरा फायदा नहीं देते। पिछली बार रेपो रेट 0.25% घटने के बावजूद प्रमुख बैंकों ने लोन की दरें 0.05 से 0.10% तक घटाई थीं। इस मुद्दे पर आरबीआई गवर्नर ने पिछले दिनों बैंकों के साथ मीटिंग भी की थी। एसबीआई ने हालांकि ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ दिया है। यह फैसला 1 मई से लागू होगा।