छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद हुए हवलदार हरीश चंद्र पाल पार्थिव शरीर शनिवार अमरकंटक एक्सप्रेस से भोपाल लाया गया। उनकी अगवानी करने पहुंचे छोटे भाई चंद्रपाल ने जैसे ही तिरंगे में लिपटे भाई का शव देखा फफक पड़ा। कहा मुझे अपने भाई पर गर्व है। रोते हुए चंद्रपाल को पूर्व विधायक बाबूलाल गौर ने ढांढ़स बंधाया। बता दें कि आखिरी बार शहीद हरीश चंद्र की अपने छोटे भाई चंद्रपाल से मोबाइल पर बात हुई थी। जब उसने मां के इलाज को लेकर भाई से चर्चा की थी। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए भोपाल स्टेशन पर बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लोग लगातार शहीद हरीश चंद्र अमर रहे के नारे लगाते रहे। तिरंगे लिपटा आया शहीद तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर अमरकंटक एक्सप्रेस से दोपहर में भोपाल लाया गया। उन्हें सीआरपीएफ के जवान लेकर आए। सलामी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद को उसके घर ले जाया गया है। भाई से कहा था मां का इलाज कराते रहना दो दिन पहले हलवदार हरीश चंद्र छत्तीसगढ़ के कांकेर नक्सली हमले में शहीद हो गए थे। उन्होंने आखिरी बार जब घर फोन किया तो छोटे भाई से बातचीत हुई थी। इसमें उसने कहा था कि मां के इलाज में पैसों की कोई कमी नहीं आनी चाहिए। तुम पैसे भेज देना, मैं तुमको भेजता रहूंगा। दोनों भाई मां की आर्थिक मदद करते थे, जबकि सबसे बड़े भाई मां के साथ रहकर उनकी देखभाल करते हैं। मां को पिछले साल लकवा लगा था। हरीश चंद्र का शव शनिवार की सुबह अमरकंटक एक्सप्रेस से भोपाल लाया जाएगा।