ईरान ने सोमवार को 2015 में हुए परमाणु समझौते को तोड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने पुष्टि की कि ईरान समझौते से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन कर रहा है। फ्रांस ने इस तनाव को कम करने के लिए ईरान में अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला लिया है। ईरान ने यूरोपीय देशों को प्रतिबंधों में राहत और करार आगे बढ़ाने के लिए 60 दिन का समय दिया था, जो 7 जुलाई को खत्म हो गया। ईरान ने कहा था कि अब हम तय सीमा 3.7% से ज्यादा यूरेनियम का संवर्धन करेंगे। अमेरिका 2018 में एकतरफा परमाणु समझौते से अलग हो गया था। इसके बाद उसने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका एकतरफा कारर्वाई कर रहा- चीन चीन, रूस और समझौते में शामिल अन्य देशों ने ईरान के इस कदम के लिए अमेरिका को दोषी ठहराया है। चीन ने अमेरिका पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि अमेरिका की वजह से वैश्विक संकट पैदा हो सकता है। अमेरिका की ओर से ईरान पर बनाया गया दबाव मौजूदा संकट का मुख्य कारण है। व्हाइट हाउस से जारी बयान के मुताबिक, ईरान के इस कदम के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बात की। दोनों नेता यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि ईरान परमाणु हथियार बनाने पर जोर नहीं दे रहा। 15 जुलाई तक पश्चिमी सहयोगी देशों के साथ वार्ता कराने में जुटा फ्रांस इस मुद्दे को लेकर मैक्रों ने शनिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से फोन पर करीब एक घंटे तक बात की थी। उन्होंने कहा था कि वह ईरान और पश्चिमी देशों के बीच 15 जुलाई तक फिर से वार्ता कराने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। फ्रांस के प्रतिनिधि इस मामले पर चर्चा के लिए इमैनुएल बोनी ईरान जाएंगे। ‘ईरान का यूरेनियम संवर्धन 4.5% के पार’ एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान (एईओआई) के प्रवक्ता बहरोज कमालवंडी ने कहा कि ईरान का यूरेनियम संवर्धन 4.5% के पार पहुंच गया है। कमालवंडी ने रविवार को कहा था कि ईरान को अपने बशर न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए 5% यूरेनियम सवंर्धन की जरूरत है और तेहरान रिसर्च रिएक्टर के लिए 20% संवर्धन की आवश्यकता है।