कर्नाटक विधानसभा में सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव पर शुक्रवार को भी बहस जारी है। राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए दूसरी बार 6 बजे तक की डेडलाइन दी थी। लेकिन, कुमारस्वामी ने विश्वासमत साबित नहीं किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का वे सम्मान करते हैं, लेकिन उनके दूसरे प्रेम पत्र (डेडलाइन) ने उन्हें आहत किया। कुमारस्वामी राज्यपाल के खिलाफ फ्लोर टेस्ट के लिए डेडलाइन देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कुमारस्वामी ने कहा, "मेरे मन में राज्यपाल के लिए सम्मान है, लेकिन उनके दूसरे प्रेम पत्र ने मुझे आहत किया।' बीएस येदियुरप्पा के निजी सचिव पीए संतोष के साथ निर्दलीय विधायक एच नागेश की फोटो दिखाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''क्या वाकई उन्हें विधायकों की खरीद-फरोख्त के बारे में 10 दिन पहले ही पता चला? मैं फ्लोर टेस्ट का फैसला स्पीकर पर छोड़ता हूं। मैं दिल्ली द्वारा निर्देशित नहीं हो सकता। मैं स्पीकर से अपील करता हूं कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए पत्र से मेरी रक्षा करें।'' पहले दिन से गठबंधन सरकार गिराने का माहौल बनाया जा रहा- कुमारस्वामी कुमारस्वामी ने कहा, ''पहले राज्य में जारी राजनीतिक संकट पर चर्चा होगी। बाद में फ्लोर टेस्ट होगा।'' उन्होंने कहा कि राज्य में जब से कांग्रेस-जेडीएस सरकार बनी, इसे गिराने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। मुझे पहले दिन से पता था कि सत्ता ज्यादा नहीं चलेगी, देखता हूं भाजपा कितने दिन सरकार चला पाएगी? मुद्दे पर बहस होने दीजिए। आप (भाजपा) अभी भी सरकार बना सकते हैं। कोई जल्दी नहीं है। आप सोमवार या मंगलवार को भी सरकार बना सकते हैं। मैं अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा। सोमवार तक जारी रहेगी बहस- सिद्धारमैया कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बहस अभी पूरी नहीं हुई है और 20 सदस्यों को इसमें हिस्सा लेना है। मुझे लगता है कि यह सोमवार को भी जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने दायर की याचिका कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, इसमें शीर्ष अदालत के 17 जुलाई के फैसले को चुनौती दी गई। दरअसल, कोर्ट ने 17 जुलाई को कहा था कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य ना किया जाए। इन विधायकों पर व्हिप लागू नहीं होगी। कांग्रेस कर्नाटक चीफ दिनेश गुंडू राव ने याचिका दायर कर कोर्ट से फैसले पर स्पष्टीकरण की मांग की है। इसमें कहा गया है कि कोर्ट का आदेश व्हिप जारी करने के पार्टी के अधिकार को प्रभावित करता है।