कुछ माह के अंतराल के पश्चात बुधवार सुबह एक बार फिर पोकरण फायरिंग रेंज अमेरिका में बनी अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोप के धमाकों से गूंज उठा। अमेरिकन अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर 155 एम 777 के ए-2 एडवांस वर्जन की 6 तोप के भारत में पहुंचने के बाद इनका फायरिंग परीक्षण जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेन्ज में शुरू हो गए हैं। यह परीक्षण अगले कुछ दिन तक जारी रहेगा। इन ट्रायल के दौरान अमेरिकन विशेषज्ञों के साथ ही अमेरिकन कंपनी की देश में सहयोगी महेन्द्रा कंपनी के अधिकारी व उच्च सैन्यधिकारी भी मौजूद है। इन अमरीकन गनो के भारतीय सेना में इस साल के आखिर तक शामिल होने की संभावना हैं। इस तोप की मारक क्षमता चालीस किलोमीटर तक मार करने की है। रक्षा सूत्रो के मुताबिक जैसे-जैसे अमरीका से यह गन आ रही हैं वैसे वैसे इनके फायरिंग ट्रायल पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में हो रहे हैं। हाल ही अमरीका से आई छह नई गन की आज पोकरण में लंबी दूरी तक की मारक क्षमता को परखा जा रहा है। इनकी गूंज से फायरिंग रेंज गूंज उठी। इस अवसर पर सेना के तोपखाना यूनिट के अधिकारी अमेरिका सरकार के डेलीगेट्स, अमेरिकन गन कंपनी बीएई सिस्टम के प्रतिनिधि सहित कई विशेषज्ञ इन ट्रायल के माध्यम से इसकी क्षमता का आकलन कर रहे है। वर्ष के अंत तक मिलेगी सेना को भारतीय सेना की मारक क्षमता को मजबूत करने व आधुनिकीकरण की कड़ी में अमेरिका के साथ एम 777 अल्ट्रा लाईट हॉवित्जर गन खरीदने का एमओयू हुआ था। इस कड़ी के प्रारंभ में दो अमेरिकन गन 18 मई 2017 को भारत लाई गई थी। 8 जून को इसके पहले फायर ट्रायल पोकरण में शुरू किये गये थे। एक सैन्यअधिकारी ने बताया कि यह लंबी प्रक्रिया हैं। अमेरिकन गन कंपनी बीएलई सिस्टम के भारत में महिन्द्रा डीएलएस पाटर्नर हैं यह दोनों मिलकर भारत में गन बनाएंगे। कुल 145 गन 3 सालों में भारत में भारतीय सेना को मिलने की संभावना हैं। जिन्हें 7-8 यूनिटों को बांटा जाएगा। एक यूनिट को करीब 18 गन दी जाएगी। इसके इस साल के अंत में भारतीय सेना में सम्मिलित होने की संभावना हैं। इसे चीन व पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जायेगा। इस तरह साल 1986 में बोफोर्स तोप के बाद अब सेना को एक कारगर तोप मिलने का रास्ता साफ हो गया हैं।