अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि कॉरपोरेट और पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितताओं, कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई है।गुरुवार को आईएमएफ ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में 0.3% की कटौती करते हुए वित्त वर्ष 2019-20 में इसके 7% रहने का अनुमान जताया है। आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने भारतीय अर्थव्यवस्था की कमजोरी पर चिंता जताते हुए नए आंकड़े पेश करने की बात कही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून की तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात साल के सबसे निचले स्तर 5% पर रही। जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह स्तर 8% पर थी। वित्त वर्ष 2021 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.2% रहेगी आईएमएफ की शुरुआती रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2021 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.2% लगाया गया। इससे पहले यह अनुमान 7.5% का आंका गया था। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मंदी का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र और कृषि उत्पादन में तेज गिरावट आना है। इससे पहले, वित्त वर्ष 2012-13 में अप्रैल-जून तिमाही में सबसे कम आर्थिक वृद्धि दर दर्ज की गई थी। उपभोक्ता की मांग और निजी निवेश कम होने से यह स्तर 4.9% रही थी। ट्रेड वॉर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर किया गेरी राईस ने कहा, “अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। इससे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में अगले वर्ष 0.8% घटने की आशंका है। पिछले एक दशक के वित्तीय संकट के दौरान दुनिया भर में विनिर्माण स्तर पर पहले से ही मंदी का दौर जारी है। उन्होंने कहा, “हमने विनिर्माण क्षेत्र में कमजोरी दर्ज की है। इस प्रकार की स्थिति वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी नहीं देखी गई थी।”