गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हिंदी दिवस के कार्यक्रम में एक राष्ट्र-एक भाषा के फॉर्मूला का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि जरूरत है कि देश की एक भाषा हो, जिसके कारण विदेशी भाषाओं को जगह न मिले। इसी को याद रखते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने राजभाषा की कल्पना की थी और इसके लिए हिंदी को स्वीकार किया। गृह मंत्री ने कहा, “हिंदी दिवस के दिन हमें आत्म निरीक्षण करना चाहिए। दुनिया में कई देश हैं जिनकी भाषाएं लुप्त हो गईं। जो देश अपनी भाषा छोड़ता है उसका अस्तित्व भी छूट जाता है। जो देश अपनी भाषा नहीं बचा सकता वो अपनी संस्कृति भी संरक्षित नहीं रख सकता। मैं मानता हूं कि हिंदी को बल देना, प्रचारित करना, प्रसारित करना, संशोधित करना, उसके व्याकरण का शुद्धिकरण करना, इसके साहित्य को नए युग में ले जाना चाहे वो गद्य हो या पद्य हमारा दायित्व है।” स्टालिन ने कहा- इससे देश की एकता पर असर पड़ेगा तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने शाह के बयान का विरोध करते हुए कहा कि हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध करते रहे हैं। गृह मंत्री के आज के बयान ने हमें झटका दिया है, इससे देश की एकता पर असर पड़ेगा। हम शाह से बयान वापस लेने की मांग करते हैं। देश में एक भाषा की कोई जरूरत नहीं है। सोमवार को हम पार्टी मीटिंग में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। ओवैसी ने कहा- हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया- हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। क्या आप कृपया इस देश की विभिन्नता और अलग-अलग मातृभाषाओं की सुंदरता की तारीफ कर सकते हैं। अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अलग भाषा, लिपि और संस्कृति का अधिकार देता है। भारत हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से काफी बड़ा है।