सिखों के आस्था के केंद्र करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के दर्शन के लिए बनाए गए गलियारे को पाकिस्तान कमर्शियल कॉरिडोर की तरह इस्तेमाल करना चाहता है। वह भारत से जाने वाले हर सिख श्रद्धालु से 20 डॉलर यानी करीब 1420 रुपए लेने पर अड़ा है। भारत के कई बार कहने के बावजूद पाकिस्तान ने फीस हटाने से इनकार कर दिया है। इमरान सरकार ने कहा है कि बिना शुल्क दिए श्रद्धालुओं को मत्था टेकने नहीं दिया जाएगा। पाकिस्तान ने रोजाना 5 हजार श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब में माथा टेकने की इजाजत दी है। हर साल 18 लाख सिख श्रद्धालु जाएंगे तो पाकिस्तान को 259 करोड़ रुपए मिलेंगे। हालांकि, सिख श्रद्धालु बिना वीजा दर्शन कर सकेंगे, लेकिन पासपोर्ट दिखाना होगा। 31 अक्टूबर तक पूरा होगा कॉरिडोर का निर्माण 4.2 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर का निर्माण सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती से एक हफ्ते पहले 31 अक्टूबर तक पूरा होगा। करतारपुर गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में है, यह गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक के पास स्थित सीमा से 4.5 किमी की दूरी पर स्थित है। जत्थेदार बोले- तो पंजाब सरकार वहन करे फीस पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘‘मैं पाकिस्तान से करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं पर फीस माफ करने की अपील करता हूं।’’ अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कहना है कि 20 डॉलर वसूलना ठीक नहीं है। यह कोई विदेश यात्रा नहीं, बल्कि लोगों की श्रद्धा का मामला है। ऐसे में कई श्रद्धालु करतारपुर जा ही नहीं पाएंगे, जिससे इस कॉरिडोर का मूल मकसद ही पीछे छूट जाएगा। अगर ज्यादा ही जरूरी हो तो पाकिस्तान सिर्फ वीजा शुल्क वगैरह वसूल ले। अगर पाकिस्तान अड़ा रहता है तो पंजाब सरकार को इसे वहन करना चाहिए। दुनिया में कहीं भी फीस नहीं तो पाक में क्यों : लौंगोवाल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल के हवाले से प्रवक्ता ने कहा कि दुनियाभर में एक भी जगह ऐसी नहीं है, जहां गुरुघर जाने के लिए फीस देनी पड़ती हो। इतनी भारी-भरकम फीस के रहते बहुत बड़ी संख्या में सिख संगत करतारपुर जा ही नहीं पाएगी। वैसे भी श्रद्धा से गुरुघर जाने वाली संगत से किसी तरह की फीस वसूलना जायज नहीं है। भारत सरकार को इमरान सरकार से बात कर हल निकालना चाहिए।