नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि एयर इंडिया का निजीकरण नहीं करेंगे तो इसे चलाने के लिए पैसे कहां से आएंगे। उनका कहना है कि एयर इंडिया इस वक्त प्रथम श्रेणी की संपत्ति है, इसे अभी बेचेंगे तो बोली लगाने वाले सामने आएंगे। अगर ये सिद्धांत बना लें कि एयरलाइन को बेचेंगे नहीं, तो भविष्य में इसका संचालन मुश्किल हो जाएगा। संविदा कर्मियों समेत एयर इंडिया के 15 हजार कर्मचारी पुरी ने कहा कि एयर इंडिया के घाटे की भरपाई के लिए पहले हम वित्त मंत्रालय के पास चले जाते थे। अब मंत्रालय से रकम नहीं मिल रही, इसलिए बैंकों के पास जाना पड़ेगा। एयर इंडिया के कर्मचारियों के भविष्य के सवाल पर पुरी ने कहा कि हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि एयरलाइन के 11 हजार पूर्णकालिक और 4 हजार संविदा कर्मचारियों के साथ न्याय हो। जो भी एयरलाइन को खरीदेगा उसे प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत भी पड़ेगी। सरकार ने पिछले साल भी एयरलाइन को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला। इसकी वजह ये मानी गई कि बिडिंग के लिए कड़ी शर्तें रखी गईं। इसलिए, बताया जा रहा है कि सरकार इस बार बोली प्रक्रिया को आसान रखेगी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयर इंडिया पर 78 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से खरीदार को सिर्फ 30 हजार करोड़ रुपए की जिम्मेदारी देने की योजना पर विचार किया जा रहा है। सरकार 15 दिसंबर को निवेशकों से बोलियां मांगने का प्रस्ताव जारी कर सकती है।