जर्मनी, कनाडा, फ्रांस और अफगानिस्तान समेत 25 देशों के राजनयिक बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचे। यह प्रतिनिधिमंडल अनुच्छेद 370 हटाए जाने के छह महीने बाद जमीनी हालात का जायजा लेने पहुंचा है। पहले दिन सभी सदस्य श्रीनगर स्थित डल झील घूमने पहुंचे। जानकारी के मुताबिक, सभी प्रतिनिधिमंडल उत्तर कश्मीर के फल उत्पादक किसानों से मुलाकात करेंगे। सामाजिक समूहों, मीडिया और स्थानीय राजनेताओं से भी उनकी मुलाकात होगी। भारतीय सेना उन्हें घाटी में सुरक्षा की स्थिति की जानकारी देगी और नए केंद्र शासित प्रदेशों में पाकिस्तान की शह पर आतंक को बढ़ावा देने के बारे में भी बताएगी। अगले दिन डेलिगेट्स जम्मू में उप राज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात करेंगे। यहां वे सिविल सोसाइटी ग्रुप से भी मिल सकते हैं। पिछले महीने अमेरिकी राजदूत के नेतृत्व में 15 सदस्यीय डेलिगेशन ने कश्मीर का दौरा किया था। अधिकारियों के मुताबिक, इस बार यूरोपियन यूनियन के साथ खाड़ी देशों के राजनयिक जम्मू-कश्मीर पहुंचे हैं। जर्मनी, फ्रांस और कनाडा के प्रतिनिधि भी शामिल बुधवार को कश्मीर पहुंचे डेलिगेशन में कनाडा, ऑस्ट्रिया, उज्बेकिस्तान, युगांडा, स्लोवाक रिपब्लिक, नीदरलैंड्स, नामीबिया, किर्गिज रिपब्लिक, बुल्गारिया, जर्मनी, ताजिकिस्तान, फ्रांस, मैक्सिको, डेनमार्क, इटली, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड, पोलैंड और रवांडा के प्रतिनिधि शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर भी इसमें शामिल हैं। राजनयिकों को कश्मीर क्यों भेज रही सरकार? पिछले दौरे में यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर दौरे पर जाने से इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि वह ‘गाइडेड टूर’ के पक्ष में नहीं हैं। ईयू के राजनयिकों ने कहा था कि वे अपनी मर्जी से चुने गए नेताओं से मिलना चाहते हैं, इसलिए वे बाद में कश्मीर जाएंगे। इसके बाद अमेरिकी राजदूत कैनेथ जस्टर समेत बांग्लादेश, वियतनाम, नॉर्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को, नाइजीरिया और अन्य देशों के राजनयिक कश्मीर गए थे।