मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने उच्च शिक्षा में प्रवेश ले रहे विद्यार्थियों को वर्तमान दौर की जरूरतों और विषय चयन में गंभीरता बरतने का संदेश देते हुए कहा है कि विद्यार्थियों के लिए ये ऐसा टर्निंग पाइंट है जिसपर थोड़ी सी लापरवाही और गैर गंभीरता आपके भविष्य निर्माण के लिए एक बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। देश के चंद युवा कुलाधिपतियों में से एक डा. सचिन गुप्ता निरंतर विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सदैव चिंतित रहते हैं और समय-समय पर उनको सही दिशा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं। यही वजह है कि संस्कृति विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों के निर्माण में विश्व की जरूरतों के अनुसार उनका विशेष निर्देशन रहता है। विद्यार्थियों के लिए अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि अक्सर यह देखने में आया है कि हमारे बहुत से विद्यार्थियों का कोई लक्ष्य नहीं होता, ये एक गंभीर मामला है। मैं तो सभी विद्यार्थियों से कहना चाहूंगा कि अपना एक बड़ा लक्ष्य बनाइए, भले ही यह लक्ष्य पाना अभी आपको असंभव क्यों न लगे। इस लक्ष्य को केंद्रित रख कर अपनी उच्च शिक्षा के लिए विषय या स्ट्रीम का चयन करिए और फिर उसको हासिल करने के लिए जी जान से जुट जाइए। डा. सचिन गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में तेजी से बदलते वैश्विक माहौल की जरूरत के मुताबिक विषयों के पाठ्यक्रमों में बदलाव, अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध, विषय संबंधी विशेषज्ञों के सेमिनार की व्यवस्था की है। हमने कई देशों के विश्वविद्यालयों से स्टूडेंट एक्सचेंज कार्यक्रमों के लिए एमओयू किए हैं ताकि हमारे विद्यार्थी विश्वस्तरीय शिक्षा का अनुभव ले सकें। इसके अलावा विश्वविद्यालय उद्योंगों के साथ मिलकर ऐसे पाठ्यक्रम तैयार कर चुका है जिन्हें पूरा करते ही उन्हें परिचित इंडस्ट्री में रोजगार मिल सके और वे आगे बढ़ सकें। इसके लिए विवि ने देश के बड़े औद्योगिक समूहों से एमओयू किए हैं। कुलाधिपति डा. गुप्ता ने विद्यार्थियों को सलाह देते हुए कहा कि जहां कहीं भी आप अपनी उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने जाएं तो कुछ बातों को जरूर ध्यान रखें। सबसे पहले देखें कि जहां आप प्रवेश लेने जा रहे हैं उसका परिवेश कैसा है, शैक्षणिक माहौल कैसा है, खेल-कूद के लिए सभी सुविधाएं हैं कि नहीं, मनोरंजन के लिए शैक्षणिक संस्थान द्वारा क्या-क्या आयोजन कराए जाते हैं, उनका स्तर कैसा है, सेमिनार होते हैं तो किस स्तर के लोग संबोधित करने आते हैं, विवि के द्वारा किस स्तर के एमओयू किए गए हैं, प्लेसमेंट कहां-कहां होता है, शोध के लिए सुविधा है, प्रशिक्षण के लिए उचित व्यवस्था है आदि कुछ ऐसी बातें हैं जिनके बारे में विद्यार्थियों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। डा. गुप्ता ने कहा कि संस्कृति विश्वविद्यालय की सोच है कि विद्यार्थी रोजगार पाने की कोशिश करने वाले न बनें बल्कि वे अपना रोजगार खड़ा कर रोजगार देने वाले बनें। इसके लिए विवि ने हर वो व्यवस्था की है जिससे विद्यार्थी उद्यमी बनने की सोच पैदा करें और उसके अनुरूप प्रशिक्षण पा सकें, सरकारी सहायता पा सकें।