नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज गुजरात पुलिस को निर्देश दिया कि अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में संग्रहालय के निमित्त एकत्र धन के कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति जावेद आनंद को गिरफ्तार नहीं किया जाये। गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी तबाह हो गयी थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने सीतलवाड दंपति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा, ‘यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ताओं (सीतलवाड और उनके पति) को इस मामले के सिलसिले में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।’ न्यायालय ने सीतलवाड और उनके पति को निर्देश दिया कि उनके गैर सरकारी संगठनों सबरंग ट्रस्ट और सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस से संबंधित सारे दस्तावेज, वाउचर और उन्हें चंदा देने वाले व्यक्तियों की सूची इस मामले में जांच के लिये मुहैया करायी जाये। न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया कि गुजरात पुलिस की जांच के दौरान सीतलवाड दंपति के साथ उनके एकाउन्टेन्ट को प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाये। जांच के दौरान आरोपियों द्वारा असहयोग की गुजरात पुलिस की आशंका के संदर्भ में न्यायाधीशों ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा, ‘यदि वे जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो आप उनकी जमानत रद्द करने के लिये हमारे यहां अर्जी दायर कीजिये।’ न्यायालय ने सिब्बल को इस तरह का कोई भरोसा नहीं दिलाया कि यह जांच पीड़ितों की स्मृति में संग्रहाल बनाने के लिये दो ट्रस्टों द्वारा 2007 से पहले मिले चंदों तक सीमित रहेगी या फिर यह 2002 से इन संगठनों की गतिविधियों को अपने दायरे में लेगी। न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम कहने वाले कौन होते हैं। आप तो सिर्फ प्राथमिकी की वजह से अग्रिम जमानत के मुद्दे पर ही हैं।’