करीब तीन वर्षों के दुराव के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को अन्ना हजारे के साथ मंच साझा करते हुए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ गांधीवादी नेता के आंदोलन का पूरा समर्थन किया और कहा कि इस कानून से केंद्र सरकार औद्योगिक घरानों के लिए ‘प्रॉपर्टी डीलर’ की तरह काम करने लगेगी। मेल-मिलाप का संकेत देते हुए हजारे ने प्रदर्शन स्थल पर अरविंद केजरीवाल का स्वागत किया और सामाजिक कार्यकर्ता के आंदोलन में आप के सभी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। अपने संक्षिप्त संबोधन में केजरीवाल ने विवादास्पद विधेयक को लेकर केंद्र की जमकर आलोचना की और कहा कि गरीब विरोधी नीतियों के कारण दिल्ली विधानसभा चुनावों में जनता ने भाजपा को दंडित किया जबकि इसी जनता ने लोकसभा चुनावों में उन्हें भारी जीत दिलाई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर संशोधित विधेयक को पास किया जाता है तो यह सरकार बड़ी कंपनियों की दलाल बन जाएगी, प्रॉपर्टी डीलर बन जाएगी। हम इस विधेयक का विरोध करते हैं। वर्तमान सरकार को सबक सीखना चाहिए। जनता ने पिछले वर्ष मई में भाजपा का पूरे दिल से समर्थन किया था और लोकसभा चुनावों में उनकी जीत सुनिश्चित की थी। लेकिन आठ..नौ महीने बाद भाजपा की नीतियों के कारण लोगों ने उन्हें उखाड़ दिया।’ अक्तूबर 2012 में केजरीवाल के राजनीतिक दल का गठन करने के निर्णय के बाद लोकपाल आंदोलन के दो प्रमुख चेहरे केजरीवाल और हजारे की राहें जुदा हो गई थीं। केजरीवाल ने कहा, ‘अगर देश में कोई भी सरकार गरीबों, किसानों के खिलाफ कानून बनाएगी तो जनता उसे नहीं टिकने देगी। वह उन्हें सबक सिखाएगी। हम अन्ना हजारे के नेतृत्व में कानून के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का समर्थन करते हैं। हम समर्थन करते हैं और आज दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में मैं घोषणा करना चाहता हूं कि महानगर में किसी को भी जबरन जमीन लेने की अनुमति नहीं होगी।’