नई दिल्ली : वामदलों के कड़े विरोध के बीच ‘बीमा विधि संशोधन विधेयक 2015 को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। वाम दलों ने राजग सरकार पर इस विधेयक को लेकर संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया जबकि सरकार ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। वामदलों के सदस्यों द्वारा विधेयक को पेश करने के चरण में मत विभाजन की मांग किए जाने के बाद सदन ने 45 के मुकाबले 131 मतों से विधेयक को पेश करने की मंजूरी प्रदान कर दी। इसके बाद वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने लोकसभा में विधेयक पेश किया। वामदलों की आपत्तियों को पूरी तरह से खारिज करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि लोकसभा अध्यक्ष किसी विधेयक को पेश करने की अनुमति प्रदान करती हैं तो विधेयक पेश किया जा सकता है। इसके साथ ही नायडू ने कहा कि जिस क्षण अध्यादेश पेश किया जाता है उसके छह सप्ताह के भीतर उसे कानून का रूप देना अनिवार्य है और इस अध्यादेश के मामले में यह समय सीमा पांच अप्रैल को समाप्त हो रही है। उन्होंने संसदीय कार्यवाही के एक अन्य नियम का हवाला देते हुए कहा कि यह पूरी तरह स्थापित तथ्य है कि सरकार को किसी भी सदन में विधेयक पेश करने की आजादी है। यह विधेयक सरकार द्वारा इस संबंध में जारी अध्यादेश का स्थान लेने के लिए लाया गया है। इससे पूर्व वाम दलों के सदस्यों ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि जब यही विधेयक राज्यसभा में लंबित है और सरकार ने उसे वापस नहीं लिया है तो समान विधेयक राज्यसभा में कैसे पेश किया जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक गलत परंपरा की शुरूआत कर रही है और ऐसा पिछले 65 सालों में कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार द्वारा अध्यादेश के स्थान पर लाए गए विधेयक में बीमा क्षेत्र में 49 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रावधान किया गया है। माकपा के पी करूणाकरन ने राज्यसभा में समान विधेयक के लंबित रहते लोकसभा में नया विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में यह विधेयक लोकसभा के अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता और न ही सदन के पास इस पर विचार करने की कोई शक्ति है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक पेश करने के सरकार के कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि पिछले 65 सालों में सरकार एक भी ऐसा उदाहरण बताए जहां उच्च सदन में विधेयक के लंबित रहते निचले सदन में समान विधेयक पेश किया गया हो। उन्होंने कहा कि सरकार पहले अध्यादेश लायी और अब गलत तरीके से बिल पेश किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि क्या देश अध्यादेश राज में प्रवेश करने जा रहा है? माकपा के ही एमबी राजेश ने आरोप लगाया कि सरकार एक गलत परंपरा शुरू करने का प्रयास कर रही है जैसा कि पिछले 65 साल में कभी नहीं देखा गया।