सूबे में फैलते जा रहे जाली भारतीय नोटों के बड़े सौदागर डॉ. समीर को यूपी एसटीएफ ने मंगलवार की शाम अरेस्ट किया। वह आईएसआई का एजेंट है और भारतीय बाजार में नकली नोटों के फैले मकड़जाल का सरगना भी। बताया जाता है कि साल 2011 में लखनऊ पुलिस को चकमा देकर पेशी से भाग गया था। डॉ. समीर की गिरफ्तारी को नकली नोटों के खिलाफ भारतीय एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान में बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस बाबत एसटीएफ के एसपी अमित पाठक का कहना है कि उसे लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। उससे पूछताछ की जा रही है। नकली नोटों के साम्राज्य से संबंधित कई राज खुलने की संभावना है। कौन है डॉ. समीर मूलत: बिहार का रहने वाला डॉ. अली अहमद उर्फ समीर पूर्वोत्तर भारत में फैले जाली नोटों के गैंग का अहम सदस्य है। वह आईएसआई के लिए भी काम करता है। उसे एसटीएफ ने 13 अप्रैल 2010 में डेढ़ लाख रुपए के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था।