दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश से कथित मारपीट की जांच के लिए दिल्ली पुलिस शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची। पुलिस मामले में सबूत जुटाने के लिए सीएम हाउस में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है। बता दें कि गुरुवार को केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट को बताया था कि उन्होंने विधायकों को अंशु के साथ सीएम हाउस में मारपीट करते देखा था। क्या है मामला? - शुरुआत सोमवार शाम से हुई। दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को सीएम आवास पर बुलाने के लिए सोमवार शाम चार बार कॉल किया गया। बताया गया कुछ मुद्दों पर बात करनी है। रात 12 बजे अंशु प्रकाश सीएम हाउस पहुंचे। यहां सीएम अरविंद केजरीवाल सहित 10-11 विधायक मौजूद थे। - अंशु प्रकाश का आरोप है कि यहां उन पर आप के एक विज्ञापन को पास कराने का दबाव डाला गया। जब वह मना करके जाने लगे तो दो विधायकों ने उन्हें कंधे पर हाथ रखकर वहीं बैठा दिया। दोबारा उठे तो गाल पर जोर से मारा। पीठ पर भी घूंसे पड़े और गालियां दी गईं। - वहीं, आप विधायकों ने कहा कि कोई हाथापाई नहीं की गई है। उन्हें राशन वितरण प्रणाली को लेकर चर्चा करने के लिए बुलाया गया था। सवाल पूछने पर वह भड़क गए। उन्होंने जातिसूचक शब्द भी कहे। सीएस झूठे आरोप लगा रहे हैं। यह सब भाजपा के इशारे पर किया जा रहा है। - इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वीके जैन अपने बयान से पलट गए। उन्होंने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि सीएस का चश्मा फर्श पर पड़ा था और दोनों (आरोपी) विधायक उन्हें पीट रहे थे। पुलिस ने दोनों विधायकों के आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला दिया - आप के दोनों विधायकों को रिमांड पर लेने के लिए पुलिस ने उनके आपराधिक रिकॉर्ड को आधार बनाया है। अमानतुल्लाह खान पर बारह और प्रकाश जारवाल पर चार मुकदमे हैं। पुलिस ने कोर्ट में दोनों को आदतन लड़ाई-झगड़ा करने वालों की कैटेगरी में रखकर जमानत मिलने में अड़ंगा लगा दिया। - पुलिस की कोशिश है कि दोनों को रिमांड पर लेकर उनसे गहन पूछताछ की जाए, उनके बयानों को क्रॉस चेक किया जाए, ताकि चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री आवास पर हुई मारपीट के मामले की पूरी कड़ियों को जोड़ा जा सके। अमानतुल्ला पर 12 केस दर्ज - 1995 में अमानतुल्लाह के खिलाफ श्रीनिवास पुरी थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था, हालांकि इस केस में वह दो साल पहले कोर्ट से बरी हो चुके हैं। 2008 के दो केस में भी वह वर्ष 2013 और 2015 में आरोपों से बरी हो चुके हैं। बाकी के ग्यारह मुकदमे जामिया नगर थाने में दर्ज हैं। इनमें 2 केस तब के हैं, जब वे विधायक नहीं बने थे।