उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर पत्रकार प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस मामले में उदारता दिखाते हुए पत्रकार को तुरंत रिहा करना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए, लेकिन क्या इस मामले में गिरफ्तारी न्यायपूर्ण है? राज्य सरकार को इस मामले में सही एक्शन लेना चाहिए। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने कहा कि ऐसे कमेंट पब्लिक में नहीं होने चाहिए। कानून के तहत कार्रवाई जारी रहे, लेकिन पत्रकार को तुरंत रिहा किया जाना जरूरी है। बेंच ने कहा कि नागरिकों की स्वाधीनता अटल है। इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यह (स्वतंत्रता) हमें संविधान से मिली है और इससे कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती। शनिवार को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था प्रशांत प्रशांत ने 6 जून को अपने ट्विटर हैंडल पर ‘इश्क छुपता नहीं छुपाने से योगी जी’ शीर्षक से एक पोस्ट की थी। साथ ही एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें एक युवती मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर खड़ी होकर खुद को योगी आदित्यनाथ की प्रेमिका बता रही थी। प्रशांत इससे पहले भी योगी आदित्यनाथ पर उनके जन्मदिन पर टिप्पणी कर चुका था। इस पर यूपी पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज कर ली और 8 जून को कनाैजिया को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद वकील नित्या रामकृष्णन ने वैकेशन बेंच से इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।